Wednesday, 24 December 2025

तुलसी नगर भ्रमण कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन, एक हजार महिलाएँ होंगी सहभागी:माँ तुलसी की भक्ति से मोक्ष संभव : प्रो. डॉ. रमेश रावत


तुलसी नगर भ्रमण कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन, एक हजार महिलाएँ होंगी सहभागी:माँ तुलसी की भक्ति से मोक्ष संभव : प्रो. डॉ. रमेश रावत

चोमू। विराज फाउंडेशन के तत्वावधान में 25 दिसंबर को सीताराम मंदिर, गढ़ परिसर से आयोजित होने वाले तुलसी नगर भ्रमण कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन प्रोफेसर डॉ. रमेश कुमार रावत, कुल सचिव, सिक्किम प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, गंगटोक (सिक्किम) द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि माता तुलसी की भक्ति से न केवल सांसारिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि व्यक्ति मोक्ष मार्ग की ओर भी अग्रसर होता है। उन्होंने सनातन संस्कृति में माता तुलसी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे जीवन के प्रत्येक संस्कार से जुड़ा बताया।

कार्यक्रम में विराज फाउंडेशन के प्रदेशाध्यक्ष भुवनेश तिवाड़ी, प्रदेश संरक्षक डॉ. ओम प्रकाश शर्मा, प्रदेश महासचिव बनवारी लाल शर्मा, जिला मंत्री ओमप्रकाश रीडर, चोमू विधानसभा अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, पं. मनोज शर्मा, पं. विनोद शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने इस आयोजन को समाज में धार्मिक चेतना, नैतिक मूल्यों और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक सराहनीय प्रयास बताया।

प्रदेशाध्यक्ष भुवनेश तिवाड़ी ने जानकारी देते हुए बताया कि तुलसी नगर भ्रमण के दौरान लगभग एक हजार महिलाएँ तुलसी माता के गमलों के साथ चोमू नगर में भ्रमण करेंगी। इस धार्मिक यात्रा के माध्यम से माता तुलसी की महिमा को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा और विशेष रूप से युवाओं एवं नई पीढ़ी को सनातन परंपराओं से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। नगर भ्रमण के पश्चात तुलसी मंजरी–शालिग्राम सहस्र पूजन का भव्य आयोजन भी किया जाएगा।

अपने उद्बोधन में प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने कहा कि सनातन संस्कृति में मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक के सोलह संस्कार माता तुलसी के बिना अधूरे माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रातः मंदिर में तुलसी युक्त चरणामृत का सेवन, प्रातः एवं सायंकाल तुलसी के समीप दीप प्रज्वलन तथा भगवान को तुलसी सहित भोग अर्पित करने की परंपरा अत्यंत पवित्र मानी गई है। बिना तुलसी के भगवान भी भोग स्वीकार नहीं करते, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

उन्होंने कहा कि पुराणों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की संयुक्त पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। जो भक्त प्रतिदिन श्रद्धा और नियम से तुलसी एवं शालिग्राम की पूजा करता है, उसका गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। ऐसे घरों में वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं, पितृदेव प्रसन्न रहते हैं और नवग्रह अनुकूल फल प्रदान करते हैं। विद्यार्थियों के लिए भी तुलसी पूजा को विद्या, स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ाने वाला बताया गया।

प्रो. रावत ने तुलसी पूजन के नियमों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माता तुलसी को पवित्रता के साथ घर में स्थापित कर प्रतिदिन जल अर्पित करना चाहिए, बाधाओं से मुक्ति के लिए तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए तथा कार्तिक मास में 108 परिक्रमा का विशेष महत्व है। उन्होंने संध्या काल, रविवार और विशेष तिथियों पर तुलसी न तोड़ने की परंपरा का पालन करने का आह्वान किया। अंत में उन्होंने एक पौराणिक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे तुलसी पत्र पर राम नाम से हनुमान जी की भूख शांत हुई, वैसे ही सच्चे मन से माता तुलसी की सेवा करने वाले भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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