



आयुर्वेद में गाय को स्वास्थ्य और उपचार का आधार माना गया है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार देशी गाय के घी, दूध, मूत्र और दही से शरीर के कई जटिल रोगों का उपचार किया जा सकता है। आयुर्वेद मर्म विशेषज्ञ डाॅ. पीयूष त्रिवेदी, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय प्रतापनगर, जयपुर, बताते हैं कि वागभट्ट जैसे प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों ने देशी गाय के उत्पादों को ‘अमृत’ की संज्ञा दी है।
उनके अनुसार यदि बच्चे बार-बार सर्दी-जुकाम से पीड़ित हों या नाक बहना बंद न हो तो देशी गाय का घी नाक में एक-एक बूंद डालने से तुरंत लाभ होता है। यही घी नींद न आने, बार-बार खर्राटे आने जैसी समस्याओं में भी लाभकारी बताया गया है। बाल झड़ना, रूखापन और हेयर फॉल के लिए वे बताते हैं कि गाय के दूध से बनी दही को छह दिन तांबे के पात्र में रखकर हरा होने पर बालों में लगाने से बाल गिरना एक सप्ताह में रुक सकता है। बालों का स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए महीने में एक से दो बार गौमूत्र से बाल धोना प्राकृतिक कंडीशनिंग माना जाता है।
डॉ. त्रिवेदी के अनुसार देशी गाय का मूत्र किडनी, मूत्राशय और पेशाब संबंधी 22 से अधिक रोगों में लाभकारी बताया गया है। पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना, पेशाब का लाल होना जैसी समस्याओं में गौमूत्र का सेवन उपयोगी माना जाता है। बच्चों की पसलियों में बलगम होने पर एक चम्मच और बड़ों को आधा कप गौमूत्र देने से बलगम निकलने की बात कही गई है। कब्ज जैसी समस्या में तीन दिन तक आधा कप गौमूत्र पीने से पेट साफ होने का दावा किया गया है।
आयुर्वेद के अनुसार दाद, खाज-खुजली, सफेद धब्बे, आंखों के डार्क सर्किल, त्वचा संबंधी रोगों में गाय का घी और गौमूत्र लगाने से लाभ बताया गया है। वागभट्ट के कथनों का हवाला देते हुए डॉ. त्रिवेदी कहते हैं कि आंखों के कठिन रोग जैसे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, रेटिनल डिटेचमेंट तक में छाना हुआ गौमूत्र एक-एक बूंद डालने से सुधार संभव है। दावा है कि 3 माह में चश्मा उतर सकता है, 4 माह में ग्लूकोमा ठीक हो सकता है और रेटिनल डिटेचमेंट पर 1 से 1.5 वर्ष का समय लगता है।
कानों से मवाद या संक्रमण होने पर भी 2-3 दिन तक गौमूत्र डालने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञ जोर देते हैं कि उपचार में सिर्फ देशी गाय के मूत्र और घी का ही उपयोग प्रभावी माना गया है, अन्य नस्लों की गायों के उत्पाद उतने लाभकारी नहीं माने गए।डा पीयूष त्रिवेदी ,आयुर्वेद मर्म विशेषज्ञ राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय प्रताप नगर एवं शासन सचिवालय जयपुर । M NO: +91 98280 11871