



सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मंदिरों में पैसे लेकर अमीर श्रद्धालुओं को ‘स्पेशल पूजा’ कराने की प्रथा पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इससे भगवान के निर्धारित आराम के समय में बाधा पहुँचती है, जिसे किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता। यह टिप्पणी मथुरा के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में दर्शन समय बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की गई।
हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी ने 12 सितंबर को हुई बैठक में मंदिर के दर्शन का समय प्रतिदिन 2 घंटे 30 मिनट बढ़ाने का निर्णय लिया था। इस फैसले को मंदिर के गोस्वामी परिवारों ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ—जिसमें जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचोली शामिल थे—ने सुनवाई के दौरान कहा:"दर्शन के समय को बदलने से धार्मिक विधि-विधान पर असर पड़ता है। भगवान के आराम का अपना निर्धारित समय होता है। इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।"
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जब आम श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाते, उसी समय प्रभावशाली लोग बड़ी रकम देकर विशेष पूजा कर लेते हैं, जिससे धार्मिक परंपराओं और भगवान के निर्धारित विश्राम समय का उल्लंघन होता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर मंदिर प्रबंधन समिति से जवाब माँगा है और उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया है। अब मामले की अगली सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में मंदिर प्रशासन को एक हाई पावर कमेटी के नियंत्रण में सौंप दिया था, ताकि भीड़ प्रबंधन और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण में संतुलन बनाया जा सके।