


किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए एम पी बिरला ग्रुप ने वर्ष 2019 में समृद्धि कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम का उद्देश्य छोटे किसानों को नई तकनीक, आधुनिक संसाधन और बाजार आधारित उन्नत खेती के अवसर देना है। कंपनी के जनरल मैनेजर सीबू प्रसाद जैना और मानव संसाधन प्रमुख प्रदीप सिंह बघेल के नेतृत्व में यह योजना लगातार विस्तार करती गई। आज इस कार्यक्रम से 995 किसान लाभान्वित हो रहे हैं। स्ट्रॉबेरी को कार्यक्रम में शामिल करने के बाद किसानों की आय में आई तेज वृद्धि ने पूरे क्षेत्र में उत्साह का नया माहौल बना दिया है।
एम पी बिरला ग्रुप चित्तौड़गढ़ चंदेरिया यूनिट की सीएसआर टीम—पुष्पांजलि यादव और शिव यादव—ने बताया कि वर्ष 2021 में कुछ किसानों के साथ स्ट्रॉबेरी की खेती का पहला डेमो शुरू किया गया। किसानों को ड्रिप मशीन, आधुनिक कृषि उपकरण और तकनीकी प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया गया। शुरुआती फसल में ही किसानों ने लागत निकालने के बाद 20–30 हजार रुपये का लाभ कमाया।
इसके बाद 2023 में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से 1000 स्ट्रॉबेरी पौधे मंगवाकर दस किसानों को इस परियोजना से जोड़ा गया। मात्र तीन महीनों में ही हर किसान ने 1 से 1.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। 2024 और 2025 में और किसान जुड़ते गए और आज समृद्धि कार्यक्रम से जुड़े 42 किसान लखपति बन चुके हैं। इसने चित्तौड़गढ़ में स्ट्रॉबेरी खेती की दिशा ही बदल दी।
स्थानीय स्तर पर उगाई जा रही स्ट्रॉबेरी की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उसकी उच्च गुणवत्ता और ऑर्गेनिक उत्पादन है। बाहर से आने वाली स्ट्रॉबेरी में पेस्टिसाइड्स और लंबी दूरी के परिवहन के कारण ताजगी कम हो जाती है, जबकि समृद्धि कार्यक्रम के तहत उगाई गई स्ट्रॉबेरी पूरी तरह जीवामृत और कम्पोस्ट खाद से तैयार की जाती है।
एम पी बिरला ग्रुप किसानों को हर साल 1000 पौधे निःशुल्क उपलब्ध कराता है, साथ ही सिंचाई के लिए ड्रिप लाइन बिछाने, प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं से जोड़ने में भी सहयोग देता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और उपभोक्ताओं को रसायनमुक्त ताजा उत्पाद मिलता है। इसी कारण मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी की बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है।
नगरी गांव के किसान राजेंद्र कुमार कीर बताते हैं कि समृद्धि कार्यक्रम ने उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। 2021 में पहली बार स्ट्रॉबेरी का डेमो उत्पादन लेने पर उन्हें लगभग 20 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। इसके बाद की दो फसलों में उन्हें एक-एक लाख रुपये की आय हुई। इस वर्ष वे 3 लाख रुपये से अधिक मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं।
राजेंद्र कहते हैं, “सिर्फ दस दिनों में मेरे खेत में स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई शुरू हो जाएगी। यह फसल अब हमारी आर्थिक मजबूती का आधार बन चुकी है।”
चित्तौड़गढ़ में स्ट्रॉबेरी उत्पादन की यह सफलता सिर्फ कृषि प्रयोग नहीं, बल्कि यह सबूत है कि आधुनिक तकनीक, उचित मार्गदर्शन और बेहतर संसाधन मिलने पर छोटा किसान भी बड़ी आर्थिक सफलता हासिल कर सकता है। ‘मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी’ अब राजस्थान की नई पहचान बन चुकी है और यह साबित कर रही है कि यदि अवसर और संसाधन सही दिशा में लगाए जाएं, तो किसान भी समृद्धि की नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं।