जयपुर। जयपुर में करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया द्रव्यवती नदी पुनरुद्धार प्रोजेक्ट पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सपना पूरा होने की जगह अब यह शहर की समस्या बनती जा रही है।करीब ₹1400 करोड़ खर्च करने के बाद भी यह महत्वाकांक्षी परियोजना अपने उद्देश्य पर खरी नहीं उतर सकी है। अजमेर रोड से पुरानी चुंगी तक बहने वाली द्रव्यवती नदी में आज भी हजारों लीटर सीवरेज का गंदा पानी रोजाना गिर रहा है। जगह-जगह से उठती दुर्गंध, जाम नालियां और गंदे बहाव ने नदी को फिर से नाले में तब्दील कर दिया है।
एसटीपी अब तक अधूरा, जेडीए की लापरवाही उजागर:परियोजना के तहत जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) को नदी के किनारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करना था, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई।सुबह के समय सीवरेज का दबाव बढ़ने से सड़क पर गंदा पानी फैल जाता है और अजमेर रोड व आसपास के इलाकों में यातायात बाधित हो जाता है।जेडीए के अधिकारियों का दावा है कि “नदी में शोधित पानी छोड़ा जा रहा है”, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। मानसरोवर लैंडस्केप पार्क के नीचे नदी का निरीक्षण करने पर काला, बदबूदार पानी बहता दिखाई देता है जो इस दावे पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
एनजीटी के आदेश की खुली अवहेलना:नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पहले ही स्पष्ट निर्देश दे चुका है कि“बिना शोधित किए हुए सीवरेज का पानी किसी भी नदी या नाले में नहीं छोड़ा जा सकता।”इसके बावजूद द्रव्यवती नदी में लगातार सीवेज का पानी गिरना एनजीटी आदेशों की सीधी अवमानना है। शहर के पर्यावरणविदों का कहना है कि यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि जनहित से जुड़ा गंभीर पर्यावरणीय उल्लंघन है।
एसटीपी निर्माण अटका, मामला कोर्ट में:जेडीए ने सुशीलपुरा पुलिया के पास एसटीपी निर्माण का कार्यादेश वर्ष 2023 में जारी किया था, परंतु जमीन का टाइटल क्लियर न होने के कारणकास्तकारों के विरोध और कानूनी विवाद में यह काम अटक गया।मामला कोर्ट में पहुंचने के बादअब तक जेडीए वैकल्पिक जमीन भी तय नहीं कर पाया है।
सुधार के सुझाव: नदी के बहाव क्षेत्र को प्राकृतिक (कच्चा) बनाया जाए ताकि जलस्तर बढ़ सके।गंदे पानी को पूर्ण रूप से शोधित कर ही नदी में छोड़ा जाए।स्थानीय लोगों की सहभागिता से देखरेख प्रणाली विकसित की जाए। नियमित रूप से सफाई और निगरानी तंत्र सक्रिय रखा जाए।