जोधपुर। लद्दाख के लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने अपनी नजरबंदी को गलत और अवैध बताया है। तीन दिन पहले सलाहकार एडवाइजरी बोर्ड ने जोधपुर सेन्ट्रल जेल में उनकी पेशी के दौरान उनकी बात सुनी। इस दौरान वांगचुक ने बोर्ड के समक्ष अपने विचार रखते हुए कहा कि उन्हें झूठे और भ्रामक वीडियो संदर्भों के आधार पर हिरासत में लिया गया है।
वांगचुक का पक्ष — “मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया”:सूत्रों के अनुसार वांगचुक ने एडवाइजरी बोर्ड को बताया कि उनके बयानों को गलत संदर्भ में प्रस्तुत कर हिंसा से जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से आंदोलन का समर्थन किया, लेकिन कुछ अज्ञात लोगों की झड़पों को उनके नाम से जोड़कर प्रचारित किया गया। वांगचुक ने कहा कि मुझे झूठे वीडियो और गलत रिपोर्टिंग के आधार पर बंद किया गया है। इंसाफ की राह लंबी हो सकती है, लेकिन अंधेरी नहीं। सत्यमेव जयते।”
पत्नी गीतांजलि जे अंग्मो ने उठाए सवाल: वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंग्मो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि 24 अक्टूबर को वह खुद एडवाइजरी बोर्ड की सुनवाई में मौजूद थीं, जहां उन्होंने अपने पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को “झूठ और गलत व्याख्या” बताया। गीतांजलि ने लिखा कि हिंसा की झड़पों को वांगचुक के नाम से जोड़ना लोकतंत्र और न्याय दोनों का उपहास है। उन्होंने कहा कि वांगचुक को “शांतिपूर्ण विरोध की आवाज दबाने के लिए निशाना बनाया गया।”
समर्थकों के प्रति आभार — “सत्य की जीत होगी”:वांगचुक की ओर से जेल से भेजे संदेश में कहा गया कि वे अपने समर्थकों और देशवासियों के आभारी हैं, जो “सत्य और संविधान की रक्षा के लिए खड़े हैं।”उन्होंने लिखा —“इंसाफ का घर दूर है, लेकिन अंधेर नहीं। सत्य की जीत निश्चित है।”
26 सितंबर को हुई थी गिरफ्तारी:गौरतलब है कि लेह में हिंसा भड़कने के बाद 26 सितंबर को सोनम वांगचुक को रासुका (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था।उन्हें विशेष विमान से लेह से जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन लाया गया था और फिर जोधपुर सेन्ट्रल जेल में नजरबंद किया गया। तब से वे वहीं बंद हैं और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर कानूनी समीक्षा जारी है।