Sunday, 26 October 2025

राजकॉम्प में फर्जी नियुक्ति घोटाला: अधिकारी ने पत्नी को दिखाया कर्मचारी, हर माह 1.60 लाख वेतन खुद साइन कर उठाया


राजकॉम्प में फर्जी नियुक्ति घोटाला: अधिकारी ने पत्नी को दिखाया कर्मचारी, हर माह 1.60 लाख वेतन खुद साइन कर उठाया

जयपुर। राजस्थान के सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (डीओआइटी) में एक चौंकाने वाला भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। राजकॉम्प इंफो सर्विसेज लिमिटेड (RISL) के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी की फर्जी नियुक्ति दिखाकर हर महीने ₹1.60 लाख का वेतन उठाया। और तो और, वेतन बिलों पर साइन भी वही खुद करते थे।

इस सनसनीखेज प्रकरण का खुलासा परिवादी टी.एन. शर्मा की शिकायत पर हुआ है। शिकायत में प्रद्युमन दीक्षित, उनकी पत्नी पूनम दीक्षित और उपनिदेशक राकेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मामले की जांच अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने अपने हाथ में ले ली है।

फर्जी नियुक्ति और निजी कंपनी से सांठगांठ का आरोप:शिकायत के अनुसार प्रद्युमन दीक्षित ने एक निजी आईटी कंपनी ऑरियनप्रो को सरकारी ठेकों में अनुचित लाभ दिलाया। इसके बदले में कंपनी ने उनकी पत्नी पूनम दीक्षित की फर्जी नियुक्ति राजकॉम्प में दिखा दी। अप्रैल 2019 से उनके खाते में हर माह ₹1.60 लाख वेतन के रूप में जमा कराया जा रहा था, जबकि पूनम राजकॉम्प में कार्यरत ही नहीं थीं।
राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड, जो राजस्थान सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT&C) के अधीन कार्यरत है और सरकारी डिजिटल प्रोजेक्ट्स को संचालित करती है।

एसीबी की जांच में खुलासे — पत्नी के खाते में नियमित रकम ट्रांसफर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जांच शुरू करते हुए प्रद्युमन और पूनम के बैंक खातों की जांच की। टीम ने पूनम दीक्षित के बैंक खातों के साथ-साथ संयुक्त खाता (एसबीआई, तिलक मार्ग शाखा) का रिकॉर्ड जब्त किया। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच खाते में संदिग्ध ट्रांजेक्शन्स हुए हैं। लगभग ₹ 25,000 की 15 से अधिक किश्तों में राशि जमा की गई। एसीबी को शक है कि यह रकम सरकारी ठेकों से हुई अनियमित लेन-देन से जुड़ी हो सकती है।

एसीबी की प्राथमिक जांच और आगे की कार्रवाई: सूत्रों के अनुसार एसीबी ने शिकायत का सत्यापन शुरू कर दिया है और प्रद्युमन दीक्षित की भूमिका की प्राथमिक जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
जांच अधिकारी जल्द ही राजकॉम्प के वेतन रिकॉर्ड, नियुक्ति फाइलें और ठेका दस्तावेजों को भी जब्त करेंगे। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

सरकारी सिस्टम की साख पर सवाल: यह मामला न केवल सरकारी पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकारी ठेकों और नियुक्तियों में निजी कंपनियों से मिलीभगत किस हद तक हो सकती है। राजकॉम्प जैसी प्रतिष्ठित सरकारी कंपनी में इस तरह की फर्जी नियुक्ति का खुलासा आईटी सेक्टर में सिस्टम ऑडिट और निगरानी की कमी को भी उजागर करता है।

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