झालावाड़ पुलिस ने एक बड़े साइबर फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में करोड़ों रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस कार्रवाई को “ऑपरेशन शटरडाउन” नाम दिया है। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने जोधपुर, कोटा, बूंदी और दौसा जिलों में संचालित सरकारी योजनाओं से धोखाधड़ी कर लाखों रुपए अपने कब्जे में कर लिए।
पुलिस के अनुसार इस साइबर गिरोह ने डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीकी उपकरणों का दुरुपयोग करते हुए पीएम किसान सम्मान निधि, समाज कल्याण पेंशन योजना, मुआवजा योजनाओं और आपदा राहत योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि को फर्जी खातों और अपात्र लोगों के माध्यम से हड़प लिया।
इस मामले में पुलिस ने कुल 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड रामावतार सैनी भी शामिल है। जांच में खुलासा हुआ कि रामावतार ने अपनी टीम के साथ मिलकर विभिन्न जिलों में एजेंटों का नेटवर्क तैयार किया था। ये एजेंट किसानों और लाभार्थियों के बैंक खातों से बायोमेट्रिक स्कैनिंग और डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए सरकारी धन निकालते थे।
पुलिस ने 52.69 लाख रुपए नकद, एक लग्जरी वाहन, लैपटॉप, बायोमेट्रिक स्कैनर, सिम कार्ड और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। बरामद सामग्री से स्पष्ट हुआ है कि आरोपी गिरोह लंबे समय से इस साइबर ठगी को अंजाम दे रहा था। ऑपरेशन “शटरडाउन” की सफलता का श्रेय पुलिस की त्वरित और समन्वित कार्रवाई को दिया जा रहा है। पुलिस ने इस अभियान में 70 टीमों को लगाया, जिन्होंने लगातार 70 घंटे तक ऑपरेशन चलाया और पूरे अभियान को गोपनीय रखते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया।
झालावाड़ पुलिस ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में उपयोग किए गए सभी बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और उपकरणों की जांच की जा रही है। साइबर एक्सपर्ट टीम यह पता लगा रही है कि क्या यह नेटवर्क राज्य से बाहर के अन्य जिलों या राज्यों तक भी फैला हुआ है।