जयपुर। राजस्थान एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) और सीबीआई की संयुक्त टीम ने जयपुर स्थित “एटीएस टास्क फोर्स” के ऑपरेशन में एक बड़ी सफलता हासिल की है। टीम ने ग्रेटर जैसलमेर गैंग से जुड़े मुख्य आरोपी वफर शेख मंजर मिर्जा को गिरफ्तार किया है।
वफर मिर्जा लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय हवाला, मनी ट्रांसफर और साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क चलाने के आरोपों में वांछित था। टीम ने CBI इंटरपोल ब्रांच की सहायता से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के जरिए उसका रेड कार्नर नोटिस जारी करवाया था, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया।
एटीएस की रिपोर्ट के अनुसार, वफर मिर्जा अपने लॉरेन्स गैंग से सक्रिय संपर्क में था और विदेश में बैठकर हवाला और फंड ट्रांसफर के माध्यम से गैंग के सदस्यों को आर्थिक सहायता पहुंचा रहा था। उसका मुख्य काम ऑनलाइन फाइनेंशियल सिस्टम के जरिए हवाला रकम ट्रांसफर करना, फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करना, और गैंग के लोगों को फंडिंग मुहैया कराना था।
वफर मिर्जा डिजिटल चैनलों और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए हवाला का नेटवर्क चला रहा था। वह विभिन्न देशों से ऑनलाइन मीटिंग्स के जरिए भारत में सक्रिय गैंगों के साथ लगातार संपर्क में था।
सूत्रों के अनुसार, CBI को लंदन और लिस्बन स्थित इंटरपोल यूनिट्स से सूचना मिली थी कि वफर मिर्जा पिछले कुछ महीनों से यूरोप में सक्रिय है और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग कर रहा है।
इस सूचना के बाद ATS राजस्थान के डीजी एन.एम. मिश्रा के निर्देशन में पुलिस अधीक्षक जोधपुर और जयपुर इकाइयों ने कार्रवाई शुरू की। एटीएस की टीम ने उसके विदेशी बैंक खातों और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स की जानकारी जुटाई, जिसके बाद उसके रेड कॉर्नर नोटिस की प्रक्रिया पूरी की गई। जैसे ही उसकी लोकेशन कंफर्म हुई, इंटरपोल के जरिए गिरफ्तारी कराई गई।
वफर मिर्जा ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई नकली नामों का इस्तेमाल किया, जिनमें वफर डॉक्टर मिर्जा, वफर ताहिर और वफर अब्दुल शामिल हैं। लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्यों के अनुसार, वफर मिर्जा को कभी सीधे नहीं देखा गया था, लेकिन वह विदेश से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और कूटबद्ध ऐप्स के माध्यम से संपर्क करता था।
एटीएस के अनुसार, वफर मिर्जा का मुख्य कार्य फाइनेंशियल चैनल्स के जरिए हवाला नेटवर्क संचालित करना था।
वह हवाला रूट्स, क्रिप्टो वॉलेट्स, विदेशी बैंक खातों, और ऑनलाइन एक्सचेंजों के जरिए भारत में पैसों का प्रवाह करता था। इन फंड्स का इस्तेमाल गैंग के सदस्यों के लिए हथियार खरीदने, वाहन और ड्रग्स की सप्लाई में किया जाता था।
ATS और CBI को वफर मिर्जा की गतिविधियों की जानकारी लंबे समय से मिल रही थी।टीम को लगातार यह सूचना मिल रही थी कि वह दुबई और पुर्तगाल के रास्ते हवाला ट्रांसफर कर रहा है।CBI की स्पेशल टीम ने इंटरपोल के माध्यम से उसके बैंक और पासपोर्ट रिकॉर्ड्स की पुष्टि करवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगरानी रखी।
ATS ने राजस्थान और पंजाब में भी गैंग से जुड़े अन्य सदस्यों की पहचान कर ली है। इनमें जयपुर, बीकानेर और गंगानगर में सक्रिय कुछ एजेंट भी शामिल हैं, जिनकी मदद से फंड्स देश के भीतर पहुंचाए जा रहे थे। CBI और ATS इन लोगों से पूछताछ कर रही है और गैंग की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
शिवकुमार शेखावत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अनुज ओझा, उप पुलिस अधीक्षक,रविन्द्र प्रकाश, पुलिस निरीक्षक,सुनिल तिवाड़ी, पुलिस निरीक्षक,मनीष शेख, पुलिस निरीक्षक,देवेंद्र सिंह, पुलिस निरीक्षक,रमेश कुमार, हेड कॉन्स्टेबल 187A,सुखाराम पुनिया, कॉन्स्टेबल 800A,सुरेन्द्र कुमार, कॉन्स्टेबल 68A
CBI और ATS ने यह भी बताया कि इस नेटवर्क के लिए भारत और विदेश में कार्यरत एजेंटों की पहचान की जा रही है। इनमें वे लोग शामिल हैं जो विदेशों से फंड भेजने, मनी लॉन्ड्रिंग और डिजिटल चैनलों के माध्यम से लेनदेन में शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ भविष्य में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) और धारा 111 BNS के तहत कार्रवाई की जाएगी।