पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी द्वारा दी जा रही जिम्मेदारी के सवाल पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी आदेश देती है, उसे निभाना उनका धर्म और कर्तव्य है। गहलोत ने बताया कि पार्टी के नेताओं के बीच इस विषय पर बातचीत शुरू हो गई है और बैठकें तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी की जा रही हैं।
गहलोत ने कहा कि बिहार का चुनाव एक बड़ी चुनौती है। देश में जो माहौल बना हुआ है, उसे देखते हुए लोग चिंतित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वोट चोरी और मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं। “65 लाख वोटरों के नाम काटे गए और कहा गया कि बाहर के लोग आ गए हैं। चुनाव आयोग यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा कि कौन से विदेशी लोग आए थे जिनके कारण वोट काटे गए। यह चुनाव आयोग पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, आरजेडी और तमाम विपक्षी दल इस चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं, क्योंकि सत्ता पक्ष जीत के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहा है। गहलोत ने महाराष्ट्र के हालिया चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि वहां रात 11 बजे तक मतदान हुआ, जबकि सामान्यतः 5 बजे के बाद केवल सीमित समय तक ही पोलिंग चलती है। “मैंने अपने जीवन में 10–12 चुनाव लड़े हैं, लेकिन रात 11 बजे तक मतदान पहली बार देखा। इससे भी कई सवाल खड़े हो गए हैं।”
गहलोत ने चुनाव आयोग पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि यदि आयोग अपनी साख को बनाए रखना चाहता है तो उसे निष्पक्ष जांच की पहल खुद करनी चाहिए। “लोकतंत्र चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर निर्भर करता है। आयोग का फर्ज है कि लोगों के संदेह दूर करे और पारदर्शी चुनाव कराए।”