नई दिल्ली। जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले में गिरफ्तार राजस्थान के पूर्व मंत्री महेश जोशी को सुप्रीम कोर्ट से आंशिक राहत मिली है। हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी। मंगलवार को जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई करते हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
पूर्व मंत्री महेश जोशी की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। एसीबी में दर्ज मूल केस में उनका नाम नहीं है, बावजूद इसके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बचाव पक्ष का कहना है कि ईडी ने करीब एक साल पहले नोटिस दिया था और अप्रैल 2025 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
ईडी का आरोप – 2.01 करोड़ की रिश्वत और 50 लाख का लेन-देन
ईडी का आरोप है कि महेश जोशी ने जल जीवन मिशन के टेंडर में हेरफेर कर 2.01 करोड़ रुपए की रिश्वत ली। इसके अलावा उनके बेटे की फर्म में 50 लाख रुपए का लेन-देन हुआ, जिसे ईडी संदिग्ध मान रही है। जबकि बचाव पक्ष का कहना है कि यह रकम कंपनी ने लोन के तौर पर ली थी और उसे वापस भी कर दिया गया है।
पूर्व मंत्री महेश जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि ईडी के पास पैसों के लेन-देन का कोई ठोस सबूत नहीं है और न ही यह बताया गया है कि परिवादी यह राशि कहां से लाया था। वहीं ईडी का कहना है कि राशि लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती।
5 माह से जेल में बंद
गौरतलब है कि ईडी ने 24 अप्रैल 2025 को महेश जोशी को गिरफ्तार किया था। वे पिछले करीब 5 माह से जेल में बंद हैं। ईडी का कहना है कि जल जीवन मिशन घोटाले में कई ठेके रिश्वत और दलाली के जरिए दिए गए। इस मामले में एसीबी द्वारा दर्ज FIR में पूर्व मंत्री जोशी की भूमिका का भी उल्लेख है।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में ईडी के जवाब के बाद आगे सुनवाई करेगा।