जयपुर। प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव पर बैन को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस समीर जैन की अदालत में जयराव व अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने दो अन्य याचिकाओं पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा।
जयराव के अधिवक्ता शांतनू पारीक ने सरकार की इस मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही हमारी याचिका पर जवाब पेश कर चुकी है, अब अनावश्यक समय मांगकर केवल सुनवाई को टालना चाहती है। इससे याचिकाएं निरर्थक हो जाएंगी और छात्रों के अधिकारों का हनन होगा।
हालांकि, अदालत ने सरकार की मांग स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को तय कर दी।
इससे पहले सरकार ने अपने लिखित जवाब में स्पष्ट किया था कि प्रदेश में इस वर्ष छात्रसंघ चुनाव करवाना संभव नहीं है।
सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू होने का हवाला दिया और कहा कि इससे चुनाव कार्यक्रम मेल नहीं खा रहा।सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह के भीतर चुनाव करवाए जाने चाहिए, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह संभव नहीं है।जवाब में 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सिफारिशें भी शामिल की गईं, जिनमें कुलपतियों ने शैक्षणिक सत्र और कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने का सुझाव दिया था।
सरकार की ओर से चुनाव न करवाने के रुख और हाईकोर्ट में खिंचती सुनवाई के चलते प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र संगठनों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छात्रसंघ चुनाव को लेकर वर्षों से जारी विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर पहुंचा है और अब सभी की निगाहें 15 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।