भारतीय वायुसेना के इतिहास का गौरवशाली अध्याय अब धीरे-धीरे समापन की ओर है। सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MiG-21 को राजस्थान से रिटायर करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। बीकानेर के नाल एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने खुद MiG-21 में उड़ान भरी और इसके स्वर्णिम योगदान को याद करते हुए भावुक हो गए।
छह दशक की सेवा का अंत: MiG-21 को भारतीय वायुसेना ने 1963 में शामिल किया था और तब से लेकर अब तक यह देश की रीढ़ बनकर रक्षा करता रहा। एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने वायुसैनिकों से बातचीत में कहा कि “छह दशकों से अधिक समय तक MiG-21 भारतीय वायुसेना का आधार रहा है। 1985 में जब मैंने पहली बार तेजपुर में MiG-21 उड़ाया था, तब यह अनुभव बेहद नया और रोमांचक था। यह विमान अत्यंत फुर्तीला, मैनूवरेबल और सरल डिजाइन वाला है, जो 200–250 मीटर प्रति सेकंड की दर से ऊंचाई पकड़ सकता था।”
बीकानेर में तैनात आखिरी स्क्वॉड्रन: MiG-21 की आखिरी दो स्क्वॉड्रन इस समय राजस्थान के बीकानेर नाल एयरबेस पर तैनात हैं। इन्हें नंबर 3 स्क्वॉड्रन – कोबरा,नंबर 23 स्क्वॉड्रन – पैंथर्स के नाम से जाना जाता है। कुल 36 MiG-21 लड़ाकू विमान अब सेवा में शेष हैं।
चंडीगढ़ में होगा विदाई समारोह: भारतीय वायुसेना में 62 वर्षों की गौरवशाली सेवा के बाद MiG-21 को 19 सितंबर 2025 को आधिकारिक रूप से रिटायर किया जाएगा। इसका मुख्य विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरबेस में होगा, जहां इसे औपचारिक सलामी दी जाएगी। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त होगा।