राजस्थान के जैसलमेर जिले में वैज्ञानिकों के हाथ एक अनूठी खोज लगी है। फतेहगढ़ उपखंड के मेघा गांव में तालाब की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को ऐसी संरचनाएं मिलीं जो जीवाश्म लकड़ी और हड्डियों जैसी प्रतीत होती हैं। इनमें से एक बड़ी संरचना को देखकर विशेषज्ञ इसे संभावित डायनासोर का कंकाल मान रहे हैं। हालांकि, इसकी वैज्ञानिक पुष्टि अभी बाकी है।
फतेहगढ़ उपखंड अधिकारी भरतराज गुर्जर ने बताया कि उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GIS) की टीम मौके पर पहुंचेगी। उनकी जांच और कार्बन डेटिंग के बाद ही अवशेषों की सही आयु और प्रकृति की पुष्टि की जा सकेगी।
पुरातत्वविद् पार्थ जगानी का कहना है कि यहां मिली कुछ संरचनाएं पथरीली लकड़ी जैसी दिखती हैं, लेकिन एक बड़ी संरचना कंकाल जैसी प्रतीत होती है। यह संकेत देती है कि अवशेष लाखों साल पुराने, संभवतः डायनासोर युग के हो सकते हैं।
वहीं, प्रोफेसर श्याम सुंदर मीणा का कहना है कि चूंकि ये अवशेष गहरी खुदाई से नहीं निकले बल्कि सतह पर दिखाई दिए हैं, इसलिए संभव है कि वे बहुत प्राचीन न हों और केवल 50 से 100 साल पुराने हों।
अवशेष मिलने के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए। वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। इससे लोगों में यह उत्सुकता बढ़ गई है कि यह स्थल राजस्थान के प्रागैतिहासिक अतीत के नए प्रमाण प्रदान कर सकता है।
जैसलमेर जिले में इससे पहले भी डायनासोर युग के जीवाश्म और पैरों के निशान मिलने की खबरें आ चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह खोज प्रमाणित हो जाती है तो राजस्थान को देश में जीवाश्म विज्ञान अनुसंधान के केंद्र के रूप में और भी पहचान मिल सकती है।