Thursday, 14 August 2025

रामगढ़ बांध पर ड्रोन से कृत्रिम वर्षा कार्यक्रम में तकनीकी बाधा, तीसरे प्रयास में सफल टेक-ऑफ


रामगढ़ बांध पर ड्रोन से कृत्रिम वर्षा कार्यक्रम में तकनीकी बाधा, तीसरे प्रयास में सफल टेक-ऑफ

राजधानी जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में कृत्रिम वर्षा (क्लाउड सीडिंग) कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार को किया गया, जिसमें शुरुआती दो प्रयास विफल होने के बाद तीसरे प्रयास में ड्रोन सफलतापूर्वक उड़ान भर पाया। हालांकि बादलों की ऊंचाई अधिक होने के कारण क्लाउड सीडिंग नहीं हो सकी।

पहले दो प्रयासों में तकनीकी विफलता, कार्यक्रम स्थगित

कार्यक्रम की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने ड्रोन उड़ाने के दो प्रयास किए, लेकिन दोनों बार ड्रोन तकनीकी खराबी के चलते जमीन पर गिर गए। मौके पर भारी भीड़ और तकनीकी व्यवधान के कारण कार्यक्रम को पहले स्थगित करने की घोषणा कर दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन नियंत्रित करने वाले प्रोसेसर पर भीड़ की ओर से मोबाइल से हो रहे लाइव स्ट्रीमिंग के चलते नेटवर्क में बाधा आ रही थी, जिससे नियंत्रण प्रणाली प्रभावित हुई।

भीड़ को समझाकर हटाया, तीसरे प्रयास में उड़ा ड्रोन

कार्यक्रम के स्थगन से लोगों में निराशा थी और वे वापस लौटने लगे थे। इसी बीच वैज्ञानिकों ने तीसरा प्रयास किया जो सफल रहा। ड्रोन ने उड़ान भरी लेकिन क्लाउड सीडिंग संभव नहीं हो सकी क्योंकि बादलों की ऊंचाई अपेक्षा से अधिक थी। इसके बावजूद तकनीकी रूप से यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

कृषि मंत्री और विधायक रहे मौजूद

ड्रोन उड़ान के इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और जमवारामगढ़ विधायक महेन्द्र पाल मीणा भी मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने वैज्ञानिकों से तकनीकी जानकारी ली और आयोजन की सफलता की कामना की।

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग तकनीक के माध्यम से रासायनिक पदार्थ (जैसे सिल्वर आयोडाइड) को बादलों में छोड़ा जाता है ताकि कृत्रिम बारिश कराई जा सके। यह तकनीक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है। रामगढ़ बांध क्षेत्र में इस प्रयास का उद्देश्य सूखे बांध को जल से भरना था।

आगे की योजना

वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में मौसम की अनुकूल स्थिति होने पर फिर से क्लाउड सीडिंग का प्रयास किया जाएगा। भीड़ नियंत्रण और बेहतर तकनीकी उपकरणों के साथ अगला प्रयास अधिक प्रभावी और सफल होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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