Saturday, 02 August 2025

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्रीराम कल्पाती राजेंद्रन ने दौसा में जिला न्यायालय भवन विस्तार का किया लोकार्पण, बोले – वकील न्याय मंदिर के पुजारी हैं


राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्रीराम कल्पाती राजेंद्रन ने दौसा में जिला न्यायालय भवन विस्तार का किया लोकार्पण, बोले – वकील न्याय मंदिर के पुजारी हैं

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) श्रीराम कल्पाती राजेंद्रन ने गुरुवार को दौसा में जिला न्यायालय भवन के विस्तार कार्य का विधिवत लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया, भवन निर्माण की गुणवत्ता और वकीलों की भूमिका पर प्रभावशाली विचार रखे। उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि PWD ने भवन निर्माण में ऐसे मानक अपनाए होंगे जिससे यह ढांचा कम से कम 50 वर्षों तक मजबूत बना रहेगा।

मुख्य न्यायाधीश श्रीराम कल्पाती राजेंद्रन ने अपने संबोधन में कहा कि हमने हाल ही में समाचार पत्रों में पढ़ा कि एक स्कूल भवन गिरने से मासूमों की जान चली गई। यह घटना हम सभी को यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब भी कोई निर्माण कार्य करें, तो उसमें सिर्फ तकनीकी दक्षता ही नहीं, बल्कि हमारी आत्मा और निष्ठा भी झलकनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश श्रीराम कल्पाती राजेंद्रन ने भाषण के दौरान अपनी हिंदी को ‘बंबइया’ बताया और इंग्लिश में बात करना अधिक सहज बताया। उन्होंने कहा, "हिंदी में कोई शब्द गलत इस्तेमाल हो गया तो आपको बुरा लग सकता है, इसलिए मैं ‘किंग्स लैंग्वेज’ इंग्लिश में ही बात करूंगा।”

उन्होंने ईश्वर में आस्था जताते हुए कहा कि जो भी होता है, वह सर्वशक्तिमान भगवान की इच्छा से होता है। “हम सब उनकी कठपुतली हैं, जो वे हमारे शरीर और आत्मा के माध्यम से संदेश देते हैं। उन्होंने कहा शायद भगवान ने ही मुझे राजस्थान में न्याय देने का माध्यम चुना है।

वकीलों को संबोधित करते हुए सीजे श्रीराम राजेंद्रन ने एक भावपूर्ण संदेश देते हुए कहा, “कोर्ट को हम न्याय का मंदिर मानते हैं और एडवोकेट्स उस मंदिर के पुजारी हैं। आपके समक्ष जो भी व्यक्ति न्याय की गुहार लेकर आता है, वह भक्त की तरह होता है। आपका कर्तव्य है कि उसकी पुकार को ऐसे ईश्वर तक पहुंचाएं कि उसे न्याय मिल सके।”


राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति संजीव प्रकाश शर्मा ने  दौसा को देवनगरी कहकर नमन किया और इसे न्यायिक संस्कृति की समृद्ध भूमि बताया।  उन्होंने नवीन न्यायालय भवन को न केवल संरचनात्मक आवश्यकता की पूर्ति बल्कि न्याय को गरिमा और संवेदनशीलता के साथ जनता तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बताया। न्यायाधीश श्री संजीव प्रकाश शर्मा ने  कहा कि यह भवन न्यायालय की आत्मा को स्थान देने वाला माध्यम है, जहाँ प्रत्येक वादी को न केवल न्याय  मिलेगा बल्कि न्याय का अनुभव भी होगा। उन्होंने दौसा न्यायक्षेत्र की कार्य संस्कृति, न्यायिक अधिकारियों की प्रतिबद्धता एवं बार के सहयोग की विशेष प्रशंसा की।

दौसा के संरक्षक न्यायाधीश समीर जैन ने कहा कि यह भवन केवल ईंट-पत्थर की संरचना नहीं बल्कि न्याय के प्रति विश्वास की नींव और संवैधानिक आदर्शों का कंगूरा है। उन्होंने बताया कि यह भवन समर्पण, समन्वय और समयबद्ध निष्पादन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। न्यायाधिपति ने न्यायालय के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि, '' ये दीवारें भले ही बोलती नहीं, पर इनके फैसले बनते हैं पहचान। जब न्याय हो जाए सभी के लिए सुलभ,तब भवनों में बसता है संविधान।

इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल  चंचल मिश्रा एवं मुख्य न्यायाधिपति के प्रधान निजी सचिव श्री अजय सिंह की गरिमामयी उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही। समस्त अतिथियों का परंपरागत राजस्थानी साफा पहनाकर एवं हरित प्रतीक स्वरूप पौधा भेंट कर भावपूर्ण स्वागत एवं सम्मान किया गया जिससे समारोह में सांस्कृतिक गरिमा और पर्यावरणीय संदेश का सुंदर समन्वय देखने को मिला।

इस गरिमामयी अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति श्रीराम कलपति राजेन्द्रन के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उषा श्रीराम की भी सान्निध्यपूर्ण उपस्थिति रही। इसी प्रकार संरक्षक न्यायाधिपति श्री समीर जैन के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शुचि सिंघवी जैन की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की।

इस नवीन भवन में 6 न्यायालय संचालित किए जाएंगे जिनमें पारिवारिक न्यायालय, पोक्सो न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी),अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 और अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय शामिल हैं।

यह निर्माण कार्य वित्त विभाग की स्वीकृति 6 अगस्त, 2020 तथा विधि विभाग की सहमति 21 अगस्त, 2020 के अनुसार 834.40 लाख रुपए की लागत से पूरा किया गया जिसमें 500.64 लाख की राशि केंद्रीय प्रायोजित योजना (सीएसएस) से तथा ₹333.76 लाख रुपए की राशि राज्य निधि (एसएफ) से स्वीकृत की गई थी। इसके अतिरिक्त 92.50 लाख रुपए की राशि इंटरनल रोड वर्क एवं लैंड स्केपिंग के लिए स्वीकृत की गई।

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