मुंबई। 2008 के मालेगांव बम धमाके के मामले में विशेष एनआईए कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सातों आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रही, इसलिए उन्हें "संदेह का लाभ" देते हुए दोषमुक्त किया जा रहा है।
विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि धमाका जरूर हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि विस्फोटक मोटरसाइकिल में रखा गया था, न ही यह प्रमाणित हुआ कि वह मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी। इसी प्रकार, कर्नल पुरोहित द्वारा बम बनाना या उसकी साजिश में शामिल होना भी साबित नहीं हो सका।
इस केस में जिन अन्य प्रमुख आरोपियों को बरी किया गया है, वे हैं — रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी। कोर्ट ने कहा कि NIA द्वारा लगाए गए UAPA, हत्या, षड्यंत्र, आतंकी गतिविधियों के आरोपों को न्यायसंगत रूप से साबित नहीं किया जा सका।
गौरतलब है कि यह धमाका 29 सितंबर 2008 को मालेगांव (महाराष्ट्र) में हुआ था, जिसमें 6 लोगों की जान गई थी और लगभग 100 घायल हुए थे। इस केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी, जिसे बाद में 2011 में NIA को सौंपा गया। 2016 में NIA ने चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में अब तक तीन जांच एजेंसियां और चार न्यायाधीश बदल चुके हैं।
यह फैसला पहले 8 मई 2025 को आना था, लेकिन इसे 31 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख दिया गया था, और अब अंततः 17 वर्षों बाद न्यायालय ने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया है।