राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली नगर परिषद की सभापति रशीदा खातून को सभापति पद से निलंबन के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने रशीदा खातून की याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार को तीन माह के भीतर न्यायिक जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी जनप्रतिनिधि को अनंतकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता, लेकिन साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी ईमानदारी और गरिमा के साथ काम करने की अपेक्षा की जाती है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसे राजनीतिक द्वेष के चलते निलंबित किया गया। राज्य में सरकार बदलने के बाद उस पर झूठे आरोप लगाकर बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए निलंबित कर दिया गया। इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने कहा कि रशीदा खातून पर पद का दुरुपयोग कर पट्टा जारी करने के गंभीर आरोप हैं। स्वायत्त शासन विभाग ने जांच के लिए मामला जिला प्रशासन को सौंपा, जिसके तहत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) द्वारा की गई जांच में आरोपों को प्रारंभिक रूप से सही पाया गया।
राज्य सरकार ने बताया कि न्यायिक जांच प्रभावित न हो, इसलिए रशीदा खातून को जुलाई 2024 में वार्ड पार्षद और सभापति पद से निलंबित किया गया।
इस मामले में शिकायतकर्ता अशोक पाठक की ओर से अधिवक्ता प्रेम शंकर शर्मा ने भी दलील दी कि रशीदा खातून ने सभापति पद का दुरुपयोग करते हुए शिव मंदिर की जमीन का पट्टा अपने पुत्र के नाम कर दिया था। जांच में इस आरोप की पुष्टि होने के बाद निलंबन किया गया, जो कि पूरी तरह उचित था।