Tuesday, 08 July 2025

"एक देश-एक चुनाव" संविधान का उल्लंघन नहीं: पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, चुनाव आयोग को दी जाने वाली शक्तियों पर जताई चिंता


"एक देश-एक चुनाव" संविधान का उल्लंघन नहीं: पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, चुनाव आयोग को दी जाने वाली शक्तियों पर जताई चिंता

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने "एक देश-एक चुनाव" व्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने यह राय संसदीय समिति को लिखित रूप में प्रस्तुत की, जो इस विषय पर विचार कर रही है। यह टिप्पणी उस तर्क के विरोध में आई है जिसमें विपक्षी दलों द्वारा दावा किया गया था कि एक साथ चुनाव कराने से संविधान के बुनियादी ढांचे को नुकसान होगा।

हालांकि, पूर्व CJI ने चुनाव आयोग (ECI) को प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक के तहत अत्यधिक शक्तियां सौंपने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर ECI को विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने या घटाने का अधिकार मिलता है, तो ऐसे निर्णय निर्धारित परिस्थितियों में और स्पष्ट नियमों के अंतर्गत ही लिए जाने चाहिए। इन परिस्थितियों की संवैधानिक व्याख्या जरूरी है ताकि शक्ति का दुरुपयोग न हो।

पूर्व CJI ने यह भी आगाह किया कि एक साथ चुनाव की प्रक्रिया में राष्ट्रीय स्तर की बड़ी और आर्थिक रूप से सशक्त पार्टियों का वर्चस्व हो सकता है, जिससे छोटी और क्षेत्रीय पार्टियां हाशिये पर चली जाएंगी। ऐसे में उन्होंने चुनावी खर्च और प्रचार के लिए कड़े नियम लागू करने की सिफारिश की, जिससे राजनीतिक दलों को बराबरी का अवसर मिल सके।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी इंगित किया कि मध्यावधि चुनाव होने पर नई निर्वाचित सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं होकर केवल शेष अवधि तक सीमित रहेगा, जिससे नीतिगत निरंतरता और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 17 दिसंबर 2024 को "एक देश-एक चुनाव" पर संविधान संशोधन विधेयक संसद में प्रस्तुत किया था, जिसे लेकर संसदीय समिति विभिन्न पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और विशेषज्ञों से राय ले रही है।

इस पैनल के सामने 11 जुलाई को दो और पूर्व CJI, रंजन गोगोई और जे.एस. खेहर, अपनी राय प्रस्तुत करेंगे। इससे पहले मार्च में जस्टिस गोगोई ने ECI को दिए जा रहे अत्यधिक अधिकारों पर चिंता जताई थी। वहीं, यू.यू. ललित ने फरवरी में सलाह दी थी कि चरणबद्ध ढंग से चुनाव कराना ज्यादा व्यावहारिक हो सकता है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभाओं का कार्यकाल कम करना कानूनी विवादों को जन्म दे सकता है।

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