आषाढ़ शुक्ल एकादशी, जो इस बार रविवार को "देवशयनी एकादशी" के रूप में मनाई जा रही है, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और जगत की सृष्टि संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस समय से लेकर 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुहूर्त आदि वर्जित माने जाते हैं।
चार माह तक चलने वाली इस "चातुर्मास" अवधि में संत-महात्मा, गृहस्थ और साधक विशेष संयम, व्रत और नियमों का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीहरि विष्णु 118 दिन तक योगनिद्रा में रहते हैं और देवउठनी एकादशी पर पुनः जाग्रत होकर सृष्टि संचालन का कार्य अपने हाथ में लेते हैं। उसी दिन से शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।
इससे पूर्व, शुक्रवार को भड़ल्या नवमी के अबूझ सावे पर विवाह समारोहों की धूम रही। ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार साल के अंतिम दो माह नवंबर और दिसंबर में 12 सावे रहेंगे।
नवंबर में 8 मुहूर्त: 2, 22, 23, 24, 25, 27, 29 और 30 विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। दिसंबर में 4 सावे: 4, 5, 6, और 11 को सावा रहेगा।