ढाका — बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ITC) ने अदालत की अवमानना के मामले में 6 महीने की सजा सुनाई है। यह सजा हसीना और बांग्लादेश के एक स्थानीय नेता शकील बुलबुल के बीच वायरल हुई एक कथित फोन बातचीत के आधार पर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि यह बातचीत न्यायपालिका के प्रति अत्यंत अपमानजनक और धमकी भरी थी।
ऑडियो क्लिप में हसीना को यह कहते हुए सुना गया कि “मेरे खिलाफ 227 केस दर्ज हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है।” इस क्लिप ने सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक सनसनी फैला दी थी और इसका उपयोग अभियोजन पक्ष ने अदालत की अवमानना के लिए ठोस सबूत के रूप में किया।
ट्रिब्यूनल के अनुसार, इस बयान का उद्देश्य न केवल न्याय प्रक्रिया को कमजोर करना था, बल्कि पीड़ितों और गवाहों को डराना भी था। ट्रिब्यूनल ने कहा कि हसीना और बुलबुल की गैर-हाजिरी और अनुत्तरदायित्व को गंभीर मानते हुए गैर-कठोर (civil) जेल सजा दी गई है, जो तभी लागू होगी जब वे आत्मसमर्पण करेंगे या गिरफ्तार होंगे।
बता दें कि शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में व्यापक विद्रोह के बाद पद त्याग दिया था और उसी सप्ताह वह भारत भाग आईं। बांग्लादेश की नई यूनुस सरकार ने उनके खिलाफ हत्या, अपहरण और देशद्रोह जैसे 225 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी है।
बांग्लादेश सरकार ने हसीना को भारत से डिपोर्ट करने का भी आग्रह किया, लेकिन भारत ने उनका वीज़ा बढ़ा दिया, जिससे साफ हो गया कि उन्हें निकट भविष्य में डिपोर्ट नहीं किया जाएगा। हसीना इस समय दिल्ली में किसी अज्ञात स्थान पर रह रही हैं।
बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को राजनीतिक बदले और प्रवासी सुरक्षा नीति के रूप में देखा जा रहा है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चाओं में है, क्योंकि इससे बांग्लादेश की न्याय प्रणाली, लोकतंत्र और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है।