विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार को संसदीय समिति को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने इस दौरान परमाणु हमले का कोई संकेत नहीं दिया, और भारत-पाकिस्तान के बीच पारंपरिक रूप से ही संघर्ष होता रहा है।
न्यूज़ एजेंसी PTI के अनुसार, मिसरी ने बताया कि सैन्य कार्रवाई को रोकने का फैसला दोनों देशों द्वारा सहमति से लिया गया था। विपक्षी सदस्यों ने इस पर सवाल उठाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने और उनके प्रशासन ने युद्ध रोकवाने में भूमिका निभाई।
बैठक के दौरान कुछ सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या पाकिस्तान ने ऑपरेशन के दौरान चीनी तकनीकी प्लेटफॉर्म का सहारा लिया? इस पर विदेश सचिव ने जवाब दिया—“यह मायने नहीं रखता, भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस तबाह किए।”
इस उच्चस्तरीय ब्रीफिंग में टीएमसी, कांग्रेस, AIMIM और भाजपा के प्रमुख सांसदों ने भाग लिया। प्रमुख उपस्थित नेताओं में कांग्रेस के शशि थरूर, राजीव शुक्ला, दीपेंद्र हुड्डा, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, और बीजेपी की अपराजिता सारंगी व अरुण गोविल शामिल रहे।
केंद्र सरकार ने हाल ही में 59 सदस्यों वाले 7 डेलिगेशन (विदेश दौरे ग्रुप) की घोषणा की है, जिनमें 51 नेता और 8 राजनयिक शामिल हैं। इन डेलिगेशन में NDA के 31 और अन्य दलों के 20 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 3 कांग्रेस सांसद भी हैं। ये दल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों सहित कई वैश्विक मंचों पर ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखेंगे।
गौरतलब है कि भारत ने 10 मई को 23 मिनट तक चले ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था और उसके बाद पाकिस्तानी एयरबेसों को निशाना बनाया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर 10 मई की शाम 5 बजे हुआ, जिसकी जानकारी डोनाल्ड ट्रम्प ने X (पूर्व ट्विटर) पर साझा की।