राजस्थान विधानसभा की समितियों के पुनर्गठन को लेकर उठे राजनीतिक विवाद पर सोमवार को सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा पर तीखा हमला बोला। गर्ग ने कहा कि समिति का पुनर्गठन एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे विधानसभा अध्यक्ष को प्राप्त अधिकारों के तहत किया गया है। उन्होंने डोटासरा के इस्तीफे को राजनीतिक लाभ लेने का असफल प्रयास बताया।
सरकारी मुख्य सचेतक गर्ग ने स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सत्र के दौरान समितियों के पुनर्गठन और सभापतियों में परिवर्तन का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसी प्रक्रिया के तहत श्री नरेंद्र बुडानिया को एक समिति से हटाकर दूसरी समिति का सभापति बनाया गया है, न कि उन्हें हटाया गया है, जैसा कि विपक्ष द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसा ही तीन अन्य भाजपा विधायकों के साथ भी किया गया है।
सरकारी मुख्य सचेतक गर्ग ने डोटासरा के पूर्व व्यवहार पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले सत्र में असंसदीय और निंदनीय गतिविधियों के चलते उन्हें सदन से निष्कासित किया गया था। उस समय डोटासरा ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और आसन के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया, जो कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विरुद्ध है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच हुई वार्ता के बाद, टीकाराम जूली ने सदन में डोटासरा की ओर से खेद व्यक्त किया, जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने उनका निष्कासन समाप्त किया। इसके बावजूद, डोटासरा ने एक दिन भी सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लिया, और सदन का अघोषित बहिष्कार करते रहे, जो हठधर्मिता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है।
सरकारी मुख्य सचेतक गर्ग ने कहा कि डोटासरा का इस्तीफा देना या न देना अब कोई मायने नहीं रखता क्योंकि वे स्वेच्छा से सदन की प्रत्येक प्रक्रिया से दूर हैं। उन्होंने डोटासरा के इस रवैये को निंदनीय और लोकतंत्र के प्रति अनादर बताया।