हाईकोर्ट ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद का अतिरिक्त प्रभार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) कुलदीप रांका को सौंपने के सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। यह फैसला आयोग की सदस्य संगीता बेनीवाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के तहत आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति की एक सुनिश्चित प्रक्रिया है, जिसके तहत महिला एवं बाल विकास मंत्री और सामाजिक न्याय विभाग की एक कमेटी अध्यक्ष के नाम की सिफारिश करती है। इस कमेटी की सिफारिश के बाद ही नियुक्ति संभव होती है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सत्यपाल चांदोलिया ने तर्क दिया कि पूर्व अध्यक्ष संगीता बेनीवाल के इस्तीफे के बाद 5 फरवरी को राज्य सरकार ने एकतरफा रूप से कुलदीप रांका को अतिरिक्त चार्ज सौंप दिया, जो कि कानून के प्रावधानों के विरुद्ध है।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2020 की एक अधिसूचना में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख है कि अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर आयोग के ही वरिष्ठ सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष का चार्ज दिया जाएगा। इसके बावजूद आईएएस अधिकारी को चार्ज देकर सरकार ने वैधानिक प्रक्रिया की अवहेलना की।
हाईकोर्ट ने इस विषय पर सुनवाई करते हुए सरकार के आदेश पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को यह छूट दी है कि वह किसी अन्य योग्य व्यक्ति को नियमानुसार बाल आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर सकती है।