रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का आधार स्तंभ होती है, जो न केवल शरीर को सीधा रखने में मदद करती है, बल्कि शरीर की हरकतों और संतुलन को भी नियंत्रित करती है। इसमें 33 वर्टिब्रा होती हैं, जो आपस में गद्दीदार, लचीली और गाढ़े द्रव से युक्त डिस्क्स के माध्यम से जुड़ी रहती हैं। ये डिस्क्स शरीर के झटकों से सुरक्षा प्रदान करती हैं और रीढ़ को लचीलापन देती हैं। इसी लचीलेपन की बदौलत हम आसानी से झुकते, घूमते और दैनिक कार्य करते हैं।
परंतु जब किसी कारणवश इन डिस्क्स की संरचना में गड़बड़ी आती है, तो यह स्थिति “स्लिप डिस्क” कहलाती है। यह तब होता है जब डिस्क का बाहरी हिस्सा फट जाता है और अंदर का गाढ़ा द्रव निकलकर आसपास की नसों पर दबाव डालता है। इससे संबंधित क्षेत्र में दर्द, सुन्नपन, जलन या झुनझुनी होने लगती है। यदि यह समस्या गर्दन में होती है, तो इसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, और कमर में हो तो लंबर स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है।
स्लिप डिस्क के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं: गर्दन से एड़ी तक दर्द, कमर में जकड़न, दोनों हाथ-पैरों में सुन्नपन या भारीपन, रात में दर्द का बढ़ जाना, बैठने या खड़े होने के बाद दर्द का तेज हो जाना, और मांसपेशियों की कमजोरी।
इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं: गलत मुद्रा में उठना-बैठना, झुककर वजन उठाना, अत्यधिक यौन संबंध, तले-भुने पदार्थों का सेवन, देर रात तक बैठकर काम करना, और वात दोष का असंतुलन। विशेषकर, आयुर्वेद में स्लिप डिस्क को वात विकार के रूप में देखा जाता है।
बचाव के उपायों में योगाभ्यास, आहार-विहार में संतुलन, धूम्रपान से दूरी, सही तरीके से वजन उठाना और सोने की सही मुद्रा अपनाना शामिल है।
स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक इलाज:स्लिप डिस्क के इलाज में आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। इसमें एनिमा (बस्ति) द्वारा शरीर की अंदरूनी सफाई की जाती है जिससे वात दोष नियंत्रित होता है। कटिबस्ती, भाप स्नान, पोटली मसाज, अनुवासन बस्ति, एक्यूप्रेशर और चुंबकीय चिकित्सा से प्रभावित क्षेत्र को लचीलापन और ताकत दी जाती है।
आयुर्वेदिक दवाएं जैसे योगराज गुग्गुल, त्रिफला गुग्गुल, दशमूल काढ़ा, अश्वगंधारिष्ट, वातचिंतामणि रस आदि का सेवन चिकित्सक की देखरेख में किया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा से यह देखा गया है कि पेट की सफाई, मिट्टी पट्टी, और अभ्यंग के माध्यम से स्लिप डिस्क के लक्षणों में आश्चर्यजनक सुधार आता है। यहां तक कि कई मामलों में एमआरआई रिपोर्ट भी सामान्य आने लगती है।
योग के माध्यम से उपचार में सहायक आसन हैं: तितली आसन, भुजंगासन, ताड़ासन, और पवनमुक्त आसन।
इन सभी उपायों को यदि किसी प्रशिक्षित आयुर्वेदाचार्य या प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में अपनाया जाए, तो स्लिप डिस्क की समस्या से स्थायी राहत मिल सकती है।
डॉ. पीयूष त्रिवेदी आयुर्वेद विशेषज्ञ शासन सचिवालय जयपुर राजस्थान,