बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ 20 साल पुराने आपराधिक मामले में सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई तीन साल की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी निगरानी याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद उन्हें निचली अदालत में सरेंडर करना होगा। साथ ही, उनकी विधानसभा सदस्यता खतरे में आ गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के लीली थॉमस निर्णय (2013) के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा पर संसद या विधानसभा की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।
यह मामला वर्ष 2005 का है, जब मनोहरथाना उपखंड के खताखेड़ी गांव में उपसरपंच चुनाव के दौरान जाम लगा था। मौके पर पहुंचे उपखंड अधिकारी रामनिवास मेहता और आईएएस प्रोबेशनर प्रीतम बी यशवंत के साथ कथित रूप से कंवरलाल मीणा ने बदसलूकी की और रिवॉल्वर तानकर जान से मारने की धमकी देते हुए पुनर्मतदान की मांग की थी।
मामले में 2018 में एसीजेएम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश अकलेरा ने 2020 में फैसला पलटते हुए कंवरलाल को दोषी ठहराया। उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत तीन साल तक की सजा और जुर्माने से दंडित किया गया था। अब हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए निगरानी याचिका को खारिज कर दिया है।
अब जब हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा है, कंवरलाल मीणा को तुरंत सरेंडर करना होगा। साथ ही, यदि वे सजा पर ऊपरी अदालत से स्टे नहीं लेते हैं तो उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो सकती है।राजनीतिक रूप से यह फैसला भाजपा और राजस्थान की सियासत में बड़ा असर डाल सकता है।