जयपुर। राजस्थान सरकार की RGHS (राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा) योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अब कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई है।
शासन सचिव, वित्त (व्यय) श्री नवीन जैन ने शुक्रवार को बताया कि योजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आने पर प्रदेश के कुछ अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर्स और फार्मा स्टोर्स पर डिएंपेनलमेंट, पेनल्टी और वसूली की कार्रवाई की गई है।
जैन ने बताया कि क्लेम्स की गहन पड़ताल के लिए एआई तकनीक और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन संस्थानों के खिलाफ शिकायतें हैं, उन्हें जांच के दायरे में लाया गया है, जबकि अन्य संस्थानों और लाभार्थियों को पूर्ववत योजना के सभी लाभ मिलते रहेंगे।
यदि किसी लाभार्थी को परेशानी होती है, तो वह 181 हेल्पलाइन या पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा सकता है।
जैन ने कहा कि ओपीडी और आईपीडी में फोटो अनिवार्यता से पारदर्शिता बढ़ी है। अब केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद आरजीएचएस योजना में बायोमेट्रिक व्यवस्था भी जल्द लागू की जाएगी, जिससे दावे में फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो सके।
उन्होंने सभी राजकीय कर्मचारियों, पेंशनर्स और परिजनों को चेताते हुए कहा:किसी भी स्थिति में अनधिकृत व्यक्ति को ओटीपी न दें
सुनिश्चित करें कि ओटीपी केवल अधिकृत अस्पताल या फार्मेसी को ही दिया गया है। इलाज के नाम पर अनावश्यक दवाएं, जांच या भर्ती से सतर्क रहें। यदि गलत दावा किया गया हो, तो तुरंत शिकायत करें।
जैन ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में मूल राशि से कई गुना अधिक के फर्जी दावे सामने आए हैं, जो कानूनी कार्रवाई के योग्य अपराध हैं।
उन्होंने दवा विक्रेताओं से आग्रह किया कि वे:ओपीडी स्लिप पर लाभार्थी का नाम और कार्ड नंबर जांचें
चिकित्सक का हस्ताक्षर, आरएमसी नंबर और नाम स्पष्ट हो
फर्जी पर्चियों पर दवा देने से बचें
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी दी जा चुकी है चेतावनी
मार्च और अप्रैल 2025 में वित्त विभाग ने निजी अनुमोदित अस्पतालों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर दुरुपयोग रोकने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की थी।