Tuesday, 08 April 2025

ब्रह्माकुमारीज़ राष्ट्रीय कार्यकारिणी मीटिंग आबूरोड में शुरू: देश-विदेश से पांच लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति, विश्वशांति व सनातन संस्कृति के प्रचार की कार्ययोजना तैयार


ब्रह्माकुमारीज़ राष्ट्रीय कार्यकारिणी मीटिंग आबूरोड में शुरू: देश-विदेश से पांच लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति, विश्वशांति व सनातन संस्कृति के प्रचार की कार्ययोजना तैयार

आबूरोड (राजस्थान)। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सात दिवसीय एजेंडा मीटिंग का शुभारंभ भव्य रूप से आबूरोड के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश-विदेश से आए दो हजार से अधिक पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान वर्षभर में संस्थान द्वारा की गई सेवाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और आगामी सेवाओं की कार्ययोजना पर विस्तृत मंथन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने की। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष शांतिवन, ज्ञान सरोवर, तपोवन, पांडव भवन आदि स्थलों पर 185 से अधिक कार्यक्रम आयोजित हुए और पांच लाख से अधिक लोग देश-विदेश से पहुंचे। इनमें से 50 हजार लोग विजिटर के रूप में आए, जबकि दो लाख से अधिक साधक योग-तपस्या के लिए पहुंचे।

अंतरराष्ट्रीय सेवाओं की झलक:बीके जयंती दीदी ने बताया कि अफ्रीका के 34 देशों में एक हजार से अधिक ध्यान सत्र आयोजित किए गए। नैरोबी और मैक्सिको में सेना के लिए विशेष मेडिटेशन सेशन रखे गए। बीके मोहिनी दीदी ने भी वैश्विक सेवाओं में संस्थान की भूमिका को रेखांकित किया।

विशेष प्रकाशन का विमोचन:परिवहन एवं यातायात प्रभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ का विमोचन किया गया। बीके दिव्यप्रभा दीदी और अन्य वरिष्ठ अतिथियों ने इसका लोकार्पण किया।

सेवा के साथ आत्मचिंतन पर भी जोर: बीके सुदेश दीदी ने सेवा में उमंग-उत्साह और दृढ़ता बनाए रखने की बात कही। बीके शुक्ला दीदी ने आत्मिक चिंतन और एकांत साधना को आवश्यक बताया।
बीके भारती दीदी ने वाणी की ऊर्जा को बचाने की सलाह दी, ताकि जीवन में ऊर्जा का संचय हो।
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मीटिंग में बीके संतोष दीदी, बीके शशि दीदी, बीके सुषमा दीदी, डॉ. प्रताप मिड्‌ढा, बीके शारदा दीदी, बीके मोहन सिंघल, बीके बसवराज ने भी सेवाओं को गति देने संबंधी सुझाव दिए। सभी वक्ताओं ने सनातन संस्कृति, नशा मुक्ति, यौगिक खेती, सांस्कृतिक उत्थान और विश्वशांति को आगे बढ़ाने पर बल दिया।

इस मीटिंग का उद्देश्य राजयोग ध्यान, आध्यात्मिक ज्ञान, और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार को विश्वभर में तेज गति देना है। इसके अंतर्गत 75 सूत्रीय कार्ययोजना पर विचार-विमर्श हो रहा है।

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