जयपुर में 13 मई 2008 को हुए भीषण सीरियल बम धमाकों के दौरान चांदपोल बाजार में जिंदा मिले बम के मामले में न्यायालय ने चारों आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस ऐतिहासिक फैसले में 600 पेज का विस्तृत आदेश दिया गया, जिसमें कोर्ट ने न्याय, समाज और देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए कठोर सजा सुनाई।
2008 में जयपुर में एक के बाद एक 8 बम धमाके हुए थे, जिनमें 71 लोगों की मौत हुई और 180 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। वहीं, नवां बम चांदपोल बाजार के एक गेस्ट हाउस के पास मिला था, जिसे धमाके से 15 मिनट पहले ही डिफ्यूज कर लिया गया, जिससे कई जानें बचीं। इस जिंदा बम से जुड़े केस में चारों आरोपियों को दोषी पाया गया।
न्यायालय ने कहा कि“सबसे बड़ा न्यायालय, हमारा मन होता है… क्या गलत है, क्या सही, यह हमारा मन जानता है… सजा हुई है, मतलब गुनाह भी हुआ है।” यह टिप्पणी इस बात का प्रतीक है कि न्याय सिर्फ कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि मानवीय अंत:करण की पुकार भी है।
सरकारी वकील सागर तिवाड़ी (स्पेशल पीपी) ने सख्त सजा की मांग की। कहा कि दोषियों का कृत्य राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी और मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। यह ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ मामला है, इसलिए इन्हें शेष जीवन तक जेल में रखा जाए।”
दोषियों के वकील मिन्हाजुल हक ने दलील दी:“मेरे मुवक्किल 15 साल से जेल में बंद हैं। हाईकोर्ट से अन्य 8 मामलों में ये बरी हो चुके हैं। ऐसे में अदालत पूर्व में भुगती सजा को ध्यान में रखते हुए नरमी बरते।”
चारों दोषियों को अब अपने जीवन का शेष समय जेल में ही बिताना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि देश में आतंकी गतिविधियों के प्रति शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति को अपनाना अनिवार्य है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।