राजस्थान विधानसभा में कोचिंग रेगुलेशन बिल भी अटक गया है। बिल पर विरोध के चलते इसे सलेक्ट कमेटी को सौंप दिया गया है। विधानसभा की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। कोचिंग रेगुलेशन बिल पर बहस के दौरान भाजपा विधायकों भाजपा विधायक कालीचरण सराफ,अनीता बघेल,गोपाल शर्मा ने ही इसके प्रावधानों का खुलकर विरोध किया।
भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि बिल में कोचिंग संस्थानों, छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से पूर्व चर्चा नहीं की गई। उन्होंने समिति की संरचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें जनप्रतिनिधियों और न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व नहीं है।
उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, किसी छात्र की दो दिन की अनुपस्थिति पर उसके अभिभावकों को सूचना देने का प्रावधान बिल में जोड़ा जाना चाहिए।
भाजपा की विधायक अनीता बघेल ने कहा कि यह बिल व्यावहारिक रूप से सही नहीं है इसमें कई परिवर्तन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छोटे कोचिंग इंस्टिट्यूट बंद हो जाएंगे और बड़ों को इसका फायदा मिलेगा।
भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि कोचिंग रेगुलेशन बिल में केंद्र की गाइडलाइन के महत्वपूर्ण प्रावधान नदारद हैं, जैसे 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध। उन्होंने यह भी पूछा कि 2 से 5 लाख के जुर्माने जैसे प्रावधान क्या केवल छोटी कोचिंग संस्थानों पर लागू होंगे? उन्होंने चेताया कि यह पूरा क्षेत्र एक "माया जाल" बन चुका है और राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।
कांग्रेस के विधायक शांति धारीवाल ने कहा कि आत्महत्या जैसे मामलों को रोकने के लिए हर कोचिंग सेंटर में एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक अनिवार्य रूप से नियुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने बिल को संशोधन के लिए समिति को भेजने की जरूरत बताई।
कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि जब एक डिप्टी सीएम आईफा जैसे इवेंट पर 100 करोड़ खर्च कर सकते हैं, तो दूसरे डिप्टी सीएम को यह राशि शिक्षा सुधार पर खर्च करनी चाहिए। उन्होंने परीक्षा प्रणाली के अध्ययन के लिए समर्पित बजट की मांग की।