राजस्थान सरकार ने ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति और हटाने से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब जिला कलेक्टर्स अपने क्षेत्राधिकार में ग्राम पंचायतों में प्रशासक तो नियुक्त कर सकेंगे, लेकिन उन्हें हटाने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर्स को आधिकारिक पत्र जारी किया है।
अब तक प्रशासकों को हटाने का अधिकार सीधे कलेक्टर्स के पास था, लेकिन नए आदेश के तहत यह अधिकार अब सरकार के पास रहेगा।
जनवरी 2025 में राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। सरकार ने पहली बार सरपंचों को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया है।जिन ग्राम पंचायतों में सरपंच का पद खाली था, वहां उप सरपंच को प्रशासक बनाया गया है।
अगर उप सरपंच भी नहीं है तो वार्ड पंच बनेगा प्रशासक
अगर किसी ग्राम पंचायत में प्रशासक (सरपंच/उप सरपंच) को सरकार हटाती है, तो उसकी जगह उप सरपंच को प्रशासक बनाया जाएगा।अगर ग्राम पंचायत में उप सरपंच का पद भी खाली है, तो वार्ड पंच में से किसी एक को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया जाएगा।जिला कलेक्टर इस प्रस्ताव को पंचायती राज विभाग को भेजेंगे, जिसके बाद अंतिम निर्णय सरकार लेगी।
कलक्टर्स के अधिकार सीमित हो जाएंगे और ग्राम पंचायतों में प्रशासकों को हटाने का निर्णय अब सरकार लेगी।सरकार के इस कदम को पंचायतों पर ज्यादा नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।ग्राम पंचायतों में राजनीतिक प्रभाव बढ़ सकता है, क्योंकि प्रशासकों की नियुक्ति और हटाने का अधिकार अब पूरी तरह सरकार के हाथ में रहेगा।
यह फैसला राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव लाने वाला हो सकता है। इससे ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति पर सरकार का सीधा नियंत्रण होगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों की जवाबदेही भी सरकार की ओर शिफ्ट हो जाएगी।