पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बजट को चुनावी घोषणाओं से भरपूर और कर्ज का बोझ बढ़ाने वाला बताया।
5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का जिक्र क्यों नहीं?
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का वादा किया था। लेकिन आज इस वादे का कहीं जिक्र तक नहीं किया गया।
गहलोत ने कहा कि बजट में देश के सामने मौजूद महंगाई और बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्याओं का कोई समाधान नहीं दिया गया। तमाम एजेंसियों के आंकड़े बताते हैं कि देश में महंगाई और बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर हैं।फिर भी, इन मुद्दों का बजट में जिक्र तक नहीं किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान पर जल जीवन मिशन में धीमे काम करने का आरोप लगाया गया, जबकि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं। केंद्र सरकार ने अब इस मिशन की समय सीमा 2028 तक बढ़ा दी है, जबकि यह पहले 2022 और फिर 2024 तक पूरी होनी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इससे साफ होता है कि केंद्र सरकार ने बिना प्लानिंग के योजना शुरू की, जिसके कारण समय सीमा बार-बार बढ़ाई जा रही है।
गहलोत ने कहा कि यह बजट बढ़ते व्यापार घाटे पर कोई समाधान नहीं देता।उन्होंने कहा कि डॉलर के बढ़ते मूल्य और उसके प्रभावों को नजरअंदाज करता है।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई से राहत दिलाने में पूरी तरह विफल है।उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के बजाय सिर्फ चुनावी घोषणाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को देश की जनता की भलाई के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए और चुनावी राजनीति से ऊपर उठकर महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।