राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट )-2024 में राजस्थानी भाषा को विषय के रूप में शामिल करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह मामला याचिकाकर्ता पदम मेहता और डॉ. कल्याण सिंह शेखावत की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के माध्यम से उठाया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर करते हुए कहा है कि: राजस्थानी भाषा के बोलने वाले: 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में 4.36 करोड़ लोग राजस्थानी भाषा बोलते हैं।
भाषा के महत्व: संविधान, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में होनी चाहिए।
रीट में अन्य भाषाएं शामिल: रीट की विज्ञप्ति में गुजराती, पंजाबी, सिंधी और उर्दू जैसी भाषाओं को शामिल किया गया है, लेकिन राजस्थानी भाषा को अनदेखा किया गया है।
हाईकोर्ट का फैसला: याचिकाकर्ताओं ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 27 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा था कि नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की गई है। हालांकि, सरकार ने राजस्थानी भाषा के उपयोग से पूरी तरह इनकार नहीं किया।
संविधान का अनुच्छेद 350 ए: यह बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार देता है।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम, धारा 29(2)(एफ): इसमें भी मातृभाषा में शिक्षण के महत्व का उल्लेख है।
राजभाषा अधिनियम 1956: राजस्थानी भाषा राज्य की आधिकारिक भाषा नहीं होने के बावजूद व्यापक रूप से बोली जाती है।