राजस्थान हाई कोर्ट ने पशु चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2019 का परिणाम रिवाइज करने का आदेश दिया है। जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने गजेन्द्र सिंह व अन्य की याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
याचिकाओं में यह तर्क दिया गया था कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) ने भर्ती में ऐसे अभ्यर्थियों को भी शामिल किया, जिन्होंने केवल ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में प्रवेश लिया था, जबकि नियमों के अनुसार केवल फाइनल ईयर की परीक्षा पास करने वाले या परीक्षा में शामिल होने वाले ही पात्र हो सकते थे।
कोर्ट का फैसला: याचिकाकर्ताओं के तर्कों से सहमत होते हुए हाई कोर्ट ने आरपीएससी द्वारा जारी किए गए फाइनल परिणाम को रद्द करते हुए भर्ती प्रक्रिया का परिणाम रिवाइज करने का आदेश दिया। इस आदेश से फिलहाल करीब 900 पदों की नियुक्तियां अटक गई हैं।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने कोर्ट में तर्क दिया कि: भर्ती में न्यूनतम योग्यता 'बीएससी बैचलर डिग्री इन वैटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबैंडरी' थी।भर्ती परीक्षा की विज्ञप्ति 22 अक्टूबर 2019 को निकाली गई, जिसमें फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को शामिल किया गया।राजस्थान पशुपालन सेवा नियम 1963 के तहत केवल वे ही अभ्यर्थी पात्र माने जा सकते हैं, जिन्होंने न्यूनतम योग्यता प्राप्त कर ली हो या फाइनल ईयर की परीक्षा दी हो।
उन्होंने बताया कि नियमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि विज्ञप्ति को।
भर्ती प्रक्रिया का विवरण: लिखित परीक्षा: 2 अगस्त 2020
इंटरव्यू: 29 सितंबर 2023 से 11 जून 2024,फाइनल रिजल्ट: 3 अगस्त 2024
इस फाइनल रिजल्ट को याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
प्रभाव और अगली कार्रवाई:हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद फिलहाल भर्ती प्रक्रिया स्थगित हो गई है। अब आरपीएससी को नया परिणाम तैयार करना होगा।
सरकारी और अभ्यर्थियों के लिए संदेश: यह फैसला उन अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत है, जो इस भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी का शिकार हुए। वहीं, सरकार और आयोग के लिए यह एक सबक है कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।