टोंक जिले के बनेठा के समीप बनास नदी में तीन जिलों की प्यास बुझाने के लिए बनाए जा रहे ईसरदा मुख्य बांध परियोजना का निर्माण कार्य लगभग 80 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है। इस साल ईसरदा डेम में पानी रोकने की कोशिश पूरी की जाएगी और हर हाल में बनास नदी से चम्बल में जाने वाले पानी को ईसरदा डेम में रोका जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार ने बांध निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि तीसरी बार बढ़ाकर 6 जनवरी 2025 की गई थी जो भी पूरी हो गई है अब चैथी बार फिर से ईसरदा डेम निर्माण की अवधि को बढ़ाना पड़ेगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार 2025 में बारिश के सीजन में पानी ईसरदा मुख्य बांध में रोक करके भर दिया जाएगा।
ईसरदा बांध परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने की प्रथम संभावित तिथि 2021 थी जिसे कोरोना के चलते काम बंद होने के कारण बढ़ाकर अक्टूबर 2023 किया गया । फिर सरकार द्वारा ईसरदा मुख्य डेम निर्माण पूर्ण होने की संभावित तिथि तीसरी बार बढ़ाकर 6 जनवरी 2025की थी ।
बनास नदी स्थित बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो होने के बाद जो पानी नदी में बनास नदी में बहकर व्यर्थ चला जाता था उस पानी को रोकने के लिए बीसलपुर बांध की डाऊन स्ट्रीम में बनेठा के समीप ईसरदा मुख्य बांध का निर्माण किया जा रहा है। यह डेम तीन जिलों के लिए वरदान साबित होगा।
ईसरदा बांध से जयपुर, दौसा एवं सवाई माधोपुर को पेयजलापूर्ति कराने के लिए सिस्टम बनाने का कार्य दो चरणों में किया जा रहा है। आधे से ज्यादा स्टाॅप लोग गेटो पर फैब्रिकेशन का कार्य पूरा हो गया है अन्य पर शेष कार्य प्रगति पर चल रहा है। वही ईसरदा बांध परियोजना में जल संग्रहण का कार्य आगामी मानसून में 2025 में पूरा किया जाना प्रस्तावित है। ईसरदा बांध से दौसा, बांदीकुई तक 300 किलोमीटर पाईप लाइन से पांच शहरों एवं एक हजार गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए 31 विभिन्न गांवों में पंप हाउस बनाकर 212 उच्च जलाशय टैंक बनाये जा रहे हैं। वही सवाई माधोपुर जिले के एक शहर और डेढ़ सौ से अधिक गांवों में पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।
ईसरदा बांध से जयपुर ग्रामीण तक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए द्वितीय फेज में जयपुर ग्रामीण के बस्सी, चाकसू, जमुवारामगढ़, चैमूं, विराटनगर, कोटपूतली सहित विभिन्न कस्बे एवं एक हजार से अधिक गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराने की योजना है।
बनास नदी में बीसलपुर बांध निर्माण के बाद टोंक जिले को पीने तथा सिंचाई के लिए पानी दिए जाने की मांग को लेकर जिले में आन्दोलन हुए थे। जिसके बाद तत्कालीन विधायक एवं पूर्व सरकारी मुख्य सचेतक महावीर प्रसाद जैन के अथक प्रयासों से कॉफर बांध का निर्माण कार्य 2008 में 40 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया था। इसके पश्चात वन भूमि परिवर्तन एवं मुआवजा राशि वितरण और बजट आवंटन प्रक्रिया के कार्य की शिथिल गति से चलने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2019 में बांध का निर्माण कार्य फिर अस्तित्व में लाया गया और अब तक ईसरदा बांध परियोजना का निर्माण कार्य लगभग 80 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा कर 28 ब्लॉको का कार्य गेट लेवल तक पूरा कर लिया गया है।
28 ब्लॉक अधिकतम बराबर क्षमता 262 आर एल मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गए हैं । बांध के ओवरफ्लो में 28 रेडियल गेट लगाए जाएंगे जिनकी लंबाई एवं चैड़ाई 15.50 मीटर ×13 मीटर होगी। रेडियल गेटों का संचालन स्काडा सिस्टम से किया जाएगा। बांध की लंबाई 623 मीटर, पूर्ण भराव क्षमता 10.77 टीएमसी तथा अधिकतम जलस्तर 262ऽ00 आरएल मीटर रहेगा। ईसरदा बांध निर्माण होने के बाद 1250 गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
ईसरदा बांध परियोजना के अधीक्षण अभियंता जितेन्द्र लुहाड़िया का कहना है कि ईसरदा बांध परियोजना का लगभग 80 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो गया है। शेष निर्माण कार्य तीव्र गति से जारी है। इस सीजन 2025 में शत प्रतिशत ईसरदा डेम का निर्माण किया पूरा कर डेम को पानी लबालब भर दिया जाएगा। वैसे पहली बार में ईसरदा बांध को केवल आधे से कम ही भरकर टेस्टिंग किया जाएगा। जिलों को पानी देने का निर्णय जल संसाधन विभाग एवं उच्च स्तर पर ही किया जाएगा।
ईसरदा बांध परियोजना एक नजर में
-615.17 करोड़ लागत का वर्क आर्डर 2018 में दिया गया
-256 आरएल मीटर की क्षमता होगी प्रथम चरण में
-द्वितीय चरण में बांध की पूर्ण भराव क्षमता आर एल 262 मीटर तक 10.77 टीएमसी पानी संग्रहित किया जाएगा
-ईसरदा बांध पर 15.5 मीटर ऊंचे 28 गेट बनाए गए
-ईसरदा मुख्य बांध की लंबाई 623 मीटर है।