Thursday, 21 November 2024

एजीटीएफ की बड़ी कार्रवाई: 8 साल से फरार ₹ 25,000 के इनामी डकैत घनश्याम बावरी गिरफ्तार


एजीटीएफ की बड़ी कार्रवाई: 8 साल से फरार ₹ 25,000 के इनामी डकैत घनश्याम बावरी गिरफ्तार

एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए अंतर्राज्यीय बावरिया गिरोह के सरगना घनश्याम उर्फ श्याम बावरी को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कादर चौक थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। यह कुख्यात अपराधी पिछले 8 साल से फरार था और डकैती के एक मामले में ₹25,000 का इनामी था।

गिरफ्तार आरोपी को एजीटीएफ ने गोठन थाना, नागौर को सुपुर्द कर दिया है। घनश्याम पर लूट, डकैती, नकबजनी, हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में कुल 11 मुकदमे दर्ज हैं।

एडीजी पुलिस (एजीटीएफ) दिनेश एमएन ने बताया कि घनश्याम उर्फ श्याम बावरी ने अपने गिरोह के साथ मिलकर 2016 में गोठन थाना क्षेत्र के जाटान इंदौकियावास में सशस्त्र डकैती की घटना को अंजाम दिया था। घटना के दौरान गोलीबारी में एक महिला और पुरुष गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

घनश्याम तब से फरार था और अलग-अलग स्थानों पर रहकर पुलिस को चकमा दे रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिए नागौर पुलिस ने ₹25,000 का इनाम घोषित कर रखा था।

एजीटीएफ ने उपमहानिरीक्षक पुलिस योगेश यादव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा के सुपरविजन में एक विशेष टीम का गठन किया।
टीम ने उपनिरीक्षक नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में घनश्याम की जानकारी जुटाने के लिए अभियान चलाया। जांच के दौरान एजीटीएफ को उसके गांव में होने की पुख्ता सूचना मिली। स्थानीय पुलिस के सहयोग से टीम ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।

अपराधी की कार्यप्रणाली:घनश्याम का गिरोह दिन में कपड़े बेचने के बहाने मकानों और दुकानों की रेकी करता था।रात में हथियारों के साथ धावा बोलकर वारदात को अंजाम देता। विरोध करने पर गोलीबारी और गंभीर मारपीट से लोगों को डराता था।

घनश्याम पर नागौर के गोठन और मेड़ता सिटी थानों के अलावा बिहार के सीतामढ़ी जिले में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें लूट, डकैती, नकबजनी, हत्या का प्रयास और आर्म्स एक्ट के मुकदमे शामिल हैं। पुलिस को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान फरारी के दौरान की गई अन्य वारदातों का भी खुलासा हो सकता है।

गिरफ्तारी में उप निरीक्षक नरेंद्र सिंह, एएसआई दुष्यंत सिंह, हेड कांस्टेबल शाहिद अली, कांस्टेबल रविंद्र सिंह और महेंद्र सिंह की विशेष भूमिका रही। कांस्टेबल संजय ने तकनीकी सहायता प्रदान की।

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