Wednesday, 22 January 2025

यूरिया में जितना मोटा दाना, उतना अधिक उपयोगी: वीरेन्द्र सिंह सोलंकी


यूरिया में जितना मोटा दाना, उतना अधिक उपयोगी: वीरेन्द्र सिंह सोलंकी

टोंक जिले के किसानों को कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने यूरिया के उपयोग पर महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा कि मोटे दाने वाला (दानेदार) यूरिया और सल्फर लेपित यूरिया के उपयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह पारंपरिक छोटे दाने वाले यूरिया की तुलना में अधिक लाभकारी और उपयोगी है।

यूरिया की विशेषताएं:

मोटा दाना (दानेदार यूरिया): यह धीरे-धीरे घुलता है, जिससे पौधों को लंबे समय तक नाइट्रोजन मिलती है। पानी में जल्दी न घुलने के कारण यह पौधों की जड़ों तक अधिक समय तक प्रभावी रहता है। इसके उपयोग से भूमि जल प्रदूषण और गैस के रूप में नुकसान कम होता है।

छोटा दाना (प्रिल्ड यूरिया):यह पानी में जल्दी घुल जाता है।अधिक बारिश या सिंचाई के कारण यह पौधों की जड़ों से नीचे चला जाता है, जिससे पौधों को नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती।यह भूमि जल को प्रदूषित करता है और उपयोग दक्षता कम होती है।

सल्फर लेपित यूरिया:यह 40 किलोग्राम की पैकिंग में बाजार में उपलब्ध है। सल्फर लेपित यूरिया पौधों की जरूरत के हिसाब से धीरे-धीरे घुलता है, जिससे फसलों को बेहतर पोषण मिलता है।

कृषि अधिकारी का संदेश:

संयुक्त निदेशक वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने किसानों से कहा कि दानेदार यूरिया के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हालांकि इसकी लागत पारंपरिक यूरिया से अधिक है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ इसे अधिक उपयोगी बनाते हैं।

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