एक युवक को फिशर (पाइल्स) का ऑपरेशन कराना इतना महंगा पड़ा कि अब वह जीवनभर के लिए चल-फिर नहीं सकेगा। यह मामला सत्यम अस्पताल से जुड़ा है, जहां डॉक्टरों की लापरवाही के कारण युवक की मांसपेशियां और टिश्यूज बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी में सूजन आ गई, जिसे ठीक करना अब संभव नहीं है।
युवक ने डॉक्टरों और सत्यम अस्पताल अस्पताल के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की थी। जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई के बाद अस्पताल और डॉक्टरों पर 19.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। पीड़ित युवक ने जिला उपभोक्ता आयोग को बताया कि वह 14 फरवरी 2016 को सत्यम अस्पताल में फिशर का ऑपरेशन कराने के लिए भर्ती हुआ था। उसी दिन ऑपरेशन के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल ने इसके लिए 13,000 रुपये का भुगतान लिया।
ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण युवक की मांसपेशियों और टिश्यूज को अधिक काट दिया गया। इसके चलते उसकी रीढ़ की हड्डी में लगातार सूजन बनी हुई है, और वह अब चल-फिरने में पूरी तरह असमर्थ हो गया है। युवक की शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई करते हुए अस्पताल और संबंधित डॉक्टरों को लापरवाही का दोषी पाया। आयोग ने अस्पताल पर 19.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इसे पीड़ित युवक को क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया। इस घटना ने चिकित्सा लापरवाही के गंभीर प्रभावों को उजागर किया है। यह मामला न केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया में उपभोक्ता आयोग की भूमिका को भी रेखांकित करता है।