रणथंभौर टाइगर रिजर्व के पास स्थित उलियाना गांव में बाघ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिससे क्षेत्र में डर का माहौल बन गया है। यह घटना बाघों के हमलों की उस श्रृंखला का हिस्सा है जो पिछले कुछ महीनों से लगातार देखी जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वन विभाग इस समस्या की अनदेखी कर रहा है और बाघों के हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
सितंबर 2024 में गोपालपुरा गांव में भी एक बाघिन ने दो भाइयों पर हमला किया था, जिसमें दोनों भाई गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन घटनाओं के बाद, वन विभाग ने गश्त बढ़ाने और बाघों की निगरानी के कुछ प्रयास किए हैं, लेकिन स्थानीय लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों के प्राकृतिक आवास में कमी और मानव बस्तियों के विस्तार से मानव-बाघ संघर्ष बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वन विभाग को बाघों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। वन विभाग ने निवासियों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और बाघों की गतिविधियों की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।