राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के शिक्षा संकुल परिसर में सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूल शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने शिक्षक संघ और कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ शिक्षा में सुधार के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बच्चों के हित को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए मातृभाषा में प्री-प्राइमरी शिक्षा आवश्यक है।
स्कूल शिक्षा सचिव कुणाल ने कहा कि तीन से आठ साल के बच्चों के बौद्धिक, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए उनकी मातृभाषा में शिक्षा देना अनिवार्य होना चाहिए। इसके लिए बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ने में सहायता देने हेतु एक आसान शब्दकोश तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रॉप आउट दर कम करने और सरकारी विद्यालयों को सुदृढ़ बनाने पर जोर देना आवश्यक है।
स्कूल शिक्षा सचिव कुणाल ने बताया कि शाला दर्पण पोर्टल को सरल बनाया जाएगा, जिससे विद्यालयों में उपस्थिति मॉनिटरिंग और मूल्यांकन को बेहतर किया जा सके। इस कदम से शिक्षकों के कार्य में सुविधा बढ़ेगी और शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार होगा।
बैठक में शिक्षकों की ऑनलाइन ट्रेनिंग, नियमित दक्षता परीक्षा, पारदर्शी स्थानान्तरण नीति, और स्कूलों की सक्सेस रेटिंग पर भी चर्चा की गई। स्कूल शिक्षा सचिव कुणाल ने इन सुझावों पर विचार करने और शिक्षा में सुधार हेतु उन्हें लागू करने का आश्वासन दिया।
बैठक में माध्यमिक शिक्षा के निदेशक आशीष मोदी, प्रारंभिक शिक्षा के निदेशक सीताराम जाट सहित शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि और मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे।