Sunday, 29 September 2024

राजस्थान हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में देरी से बढ़ रही मुकदमों की संख्या, बार काउंसिल पर भी उठे सवाल


राजस्थान हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में देरी से बढ़ रही मुकदमों की संख्या, बार काउंसिल पर भी उठे सवाल

राजस्थान हाई कोर्ट में 16 जनवरी 2023 के बाद से एक भी नए जज की नियुक्ति नहीं हुई है, जबकि मुकदमों का अंबार बढ़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट के 9 वकीलों को हाई कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की है, लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट में जजों की कमी पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह स्थिति तब है जब केंद्रीय कानून मंत्री स्वयं राजस्थान से हैं, फिर भी राज्य की न्यायपालिका की अनदेखी की जा रही है।

राजस्थान बार काउंसिल की स्थिति चिंताजनक
राजस्थान बार काउंसिल की गरिमा पर भी सवाल उठ रहे हैं। हर छह महीने में नए अध्यक्ष बनाए जा रहे हैं, जिससे इस महत्वपूर्ण संस्था की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। बार काउंसिल जैसी संस्था का मजाक बनता जा रहा है, और अध्यक्ष पद की कोई अहमियत नहीं रह गई है।

प्लेटिनम जुबली पर खर्च, पर जजों की नियुक्ति पर ध्यान नहीं
राजस्थान हाई कोर्ट की प्लेटिनम जुबली के नाम पर प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को बुलाया गया, करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन जजों की नियुक्ति को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। मुख्य न्यायाधीश महोदय के बारे में कहा जा रहा है कि उनका ध्यान सुप्रीम कोर्ट में जाने के प्रयास पर है और उन्हें राजस्थान न्यायपालिका की स्थिति की कोई परवाह नहीं है।

अधीनस्थ न्यायालयों की दुर्दशा
राजस्थान की अधीनस्थ न्यायालयों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यहां सुविधाओं का अभाव है, कोर्ट की स्थिति दयनीय है, वकील और न्यायिक अधिकारी बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। छोटी-छोटी अदालतों में भीड़भाड़, एसी और कूलर जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी से न्यायालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है।

न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता
वरिष्ठ अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से पत्र लिखकर मांग करते हुए कहा कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था को सुधारने और जजों की नियुक्ति में तेजी लाने की जरूरत है ताकि लंबित मामलों की संख्या कम हो सके और जनता को समय पर न्याय मिल सके। प्रशासनिक कार्यों में रुचि बढ़ाने और अधीनस्थ न्यायालयों की स्थिति को सुधारने के लिए मुख्य न्यायाधीश को सक्रियता से कदम उठाने की आवश्यकता है।

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