Sunday, 29 September 2024

थाली के पास जल डालने और थाली के बाहर अन्न का एक निवाला रखने का उद्देश्य


थाली के पास जल डालने और थाली के बाहर अन्न का एक निवाला रखने का उद्देश्य

हिंदू धर्म में भोजन से संबंधित अनुष्ठान और परंपराएँ गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा थाली के पास जल डालना और थाली के बाहर अन्न का एक निवाला रखना है, जो देवता, ऋषि, पूर्वजों और समाज के प्रति व्यक्ति का कृतज्ञता प्रकट करने और उनके ऋण को चुकाने की भावना से जुड़ी है।

थाली के पास जल डालने का उद्देश्य:

पवित्रता का प्रतीक: जल को हिंदू धर्म में पवित्र और शुद्ध माना जाता है। थाली के पास जल डालने का अर्थ भोजन के आसपास की जगह को पवित्र करना है।

देवताओं का आह्वान: भोजन के पास जल डालकर इसे देवताओं को अर्पित किया जाता है। यह एक प्रकार से देवताओं को भोजन का निमंत्रण और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

स्वास्थ्य संबंधी कारण: जल डालने से यह सुनिश्चित होता है कि भोजन से पहले जल ग्रहण किया जाए, जो पाचन क्रिया के लिए लाभदायक होता है।

थाली के बाहर अन्न का एक निवाला रखने का उद्देश्य:

सर्वभूत हिताय: यह निवाला सभी जीवों को समर्पित होता है। इसे उन सभी प्राणियों के प्रति कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में रखा जाता है, जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन में योगदान है।

पितृ तर्पण: यह निवाला पितरों (पूर्वजों) के तर्पण के लिए रखा जाता है। यह विश्वास है कि पूर्वज इस अन्न से तृप्त होते हैं और अपने आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

भूत और प्रेत योनि के लिए: यह निवाला उन आत्माओं के लिए अर्पित किया जाता है जिन्हें मुक्ति नहीं मिली है। इसे उनके शांत करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

कृतज्ञता का प्रतीक: अन्न का यह निवाला प्रकृति, पशु-पक्षी और समस्त जीवों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि भोजन का आदर करना चाहिए और इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक करती है।

डॉ. पीयूष त्रिवेदी आयुर्वेद चिकित्सा प्रभारी राजस्थान विधान सभा जयपुर। M. No: +91 98280 11871


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