बीकानेर: पाकिस्तान बॉर्डर के पास राजस्थान के बीकानेर में भारत और अमेरिका की सेनाएं अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास कर रही हैं। यह युद्धाभ्यास महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित हो रहा है, जो धमाकों और गोलियों की आवाजों से गूंज रहा है। इस सैन्य अभ्यास में अमेरिका और भारत की सेनाओं के कुल 1200 जवान शामिल हैं, जिसमें अमेरिका की आर्कटिक एंजेल्स (जो अलास्का में तैनात हैं) और भारत की 9वीं राजपूत इंफेंट्री बटालियन के सैनिक भाग ले रहे हैं।
यह 20वां मौका है जब भारत और अमेरिका की सेनाएं एक साथ युद्धाभ्यास कर रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी समझ, सहयोग और युद्ध कौशल को बढ़ाना है। अभ्यास में हिस्सा लेने वाले 600-600 सैनिकों को असली युद्ध जैसी परिस्थितियों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिसमें असली गोला-बारूद और हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है।
युद्धाभ्यास कहने को काल्पनिक होते हैं, लेकिन इसमें शामिल खतरों और जोखिमों को किसी वास्तविक युद्ध से कम नहीं आंका जा सकता। युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के जवानों को कई टुकड़ियों में विभाजित किया जाता है। उन्हें असली हथियार और गोला-बारूद दिए जाते हैं और असली युद्ध जैसी स्थितियों में भेजा जाता है।
इस अभ्यास में जवानों को कई कठिन परिस्थितियों में ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें भूखे रखा जाता है, कम पानी के साथ ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए भेजा जाता है। इस दौरान उनके धैर्य, साहस और कौशल की अग्निपरीक्षा होती है।
युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना, एक-दूसरे की रणनीतियों को समझना और युद्ध की नई तकनीकों को सीखना है। इस अभ्यास के दौरान, जवान कठिन परिस्थितियों में कैसे काम करते हैं, यह उनकी बहादुरी और क्षमता को परखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
आर्मी के रिटायर्ड अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के युद्धाभ्यास जवानों को असली युद्ध के लिए तैयार करते हैं। इसमें जवानों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।
असली गोला-बारूद का इस्तेमाल: जवानों को असली हथियारों और गोलियों के साथ प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे असली युद्ध की परिस्थितियों में खुद को तैयार कर सकें।
असली युद्ध जैसी परिस्थितियां: जवानों को भूखे और कम पानी के साथ लंबे ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत-अमेरिका के इस युद्धाभ्यास से दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग और समझ बढ़ेगी, जो भविष्य के किसी भी संभावित संघर्ष में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उन्हें एक-दूसरे की युद्ध तकनीकों को समझने और सीखने का मौका मिलता है।