



अजमेर। अजमेर शरीफ दरगाह में उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से औपचारिक चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका अवकाशकालीन पीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल थे। हालांकि, शीर्ष अदालत ने फिलहाल याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया और याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह व अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता को रजिस्ट्री से संपर्क करने के निर्देश दिए।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की ओर से अजमेर दरगाह में चादर चढ़ाने की परंपरा वर्ष 1947 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन इसका कोई स्पष्ट संवैधानिक या कानूनी आधार नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का संबंध विदेशी आक्रमणों से रहा, जिनके दौरान दिल्ली और अजमेर पर विजय प्राप्त कर स्थानीय आबादी पर अत्याचार और धर्मांतरण हुआ। याचिका में इसे भारत की गरिमा के विपरीत बताया गया है।
इधर, अजमेर दरगाह में चल रहे 814वें सालाना उर्स के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से परंपरागत चादर आज पेश की गई। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू प्रधानमंत्री की ओर से भेजी गई चादर लेकर अजमेर पहुंचे और दरगाह में अकीदत के साथ चादर चढ़ाई। इसके बाद उन्होंने बुलंद दरवाजे पर प्रधानमंत्री का संदेश पढ़कर सुनाया। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए दरगाह परिसर और आसपास भारी पुलिस बल तैनात रहा।
इससे पहले सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि यह चादर प्रधानमंत्री, सरकार और पूरे देश की ओर से है। प्रधानमंत्री के संदेश को लेकर उन्होंने कहा कि वे स्वयं यहां आए हैं और जो वे बोलेंगे, वही संदेश माना जाए। रिजिजू ने देश की एकता पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी ताकत भारत को तोड़ नहीं सकती। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ में आकर उन्हें विशेष सुकून मिला है और ऐसे धार्मिक स्थलों से देश में भाईचारे और एकता का संदेश मिलता है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद अजमेर दरगाह की परंपरा, संविधान और धार्मिक आस्थाओं को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है, जिस पर अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी है।