Saturday, 13 December 2025

दिल्ली में 14 दिसंबर की 'वोट चोर–गद्दी छोड़' महारैली: राजस्थान को 50 हजार कार्यकर्ताओं का टार्गेट, 9 दिसंबर को जयपुर आएंगे के.सी. वेणुगोपाल


दिल्ली में 14 दिसंबर की 'वोट चोर–गद्दी छोड़' महारैली: राजस्थान को 50 हजार कार्यकर्ताओं का टार्गेट, 9 दिसंबर को जयपुर आएंगे के.सी. वेणुगोपाल
राजस्थान में कांग्रेस संगठन का नया ढांचा घोषित होते ही पार्टी हाईकमान ने राज्य को बड़ा लक्ष्य सौंप दिया है। दिल्ली में 14 दिसंबर को होने वाली ‘वोट चोर–गद्दी छोड़’ महारैली के लिए राजस्थान से 50 हजार कार्यकर्ताओं को जुटाने का टार्गेट मिला है।
राजस्थान में 50 में से 45 जिलों के नए जिलाध्यक्ष नियुक्त हुए हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर ने अभी तक अपनी कार्यकारिणी तक नहीं बनाई है। ऐसे में भीड़ जुटाने का मुख्य जिम्मा अब पुराने जिलाध्यक्षों, विधायकों, सांसदों, पूर्व प्रत्याशियों और विधानसभा क्षेत्र समन्वयकों के कंधों पर डाला जा रहा है।
9 दिसंबर को जयपुर आएंगे के.सी. वेणुगोपाल
महारैली की तैयारियों की निगरानी के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल 9 दिसंबर को जयपुर पहुंचेंगे। वे वरिष्ठ नेताओं, जिलाध्यक्षों और समन्वयकों के साथ विशेष बैठक करेंगे।
हर विधायक और प्रत्याशी को 500 लोगों की जिम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस की ओर से योजना बनाई जा रही है कि 67 विधायकों को,133 विधानसभा प्रत्याशियों को,25 लोकसभा प्रत्याशियों को प्रत्येक को 500-500 लोगों को दिल्ली लाने का लक्ष्य दिया जाए। इसका मतलब है कि हर नेता को कम से कम 5 से 6 बसों की व्यवस्था करनी होगी। प्रदेश कांग्रेस ने इस संबंध में बड़े स्तर पर संगठनात्मक तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि राजस्थान से 50 हजार कार्यकर्ता दिल्ली जाएंगे।
5 और 6 दिसंबर को जयपुर में दो बड़ी बैठकें
5 और 6 दिसंबर को जयपुर में डोटासरा विधायकों, पूर्व प्रत्याशियों, सांसद व सांसद प्रत्याशियों की बैठक लेंगे। सभी नए जिलाध्यक्षों और विधानसभा क्षेत्रों में नियुक्त समन्वयकों को उनके-अपने क्षेत्रों में बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।लक्ष्य है कि 14 दिसंबर की महारैली में राजस्थान सबसे अधिक भीड़ ले जाए।
नए जिलाध्यक्षों पर दबाव, पुरानी टीमों पर जिम्मेदारी
नए जिलाध्यक्षों ने अभी तक अपनी कार्यकारिणी नहीं बनाई है, इसलिए संगठनात्मक नेटवर्क पुराने पदाधिकारियों पर ही निर्भर रहेगा।कई जिलों में समन्वयक और विधानसभा प्रभारी भी अभी नियुक्त किए जा रहे हैं। ऐसे में रैली तक के अगले 10 दिन संगठन के लिए चुनौती भरे साबित होंगे।


Previous
Next

Related Posts