



अजमेर | ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी और दिव्यांग कोटे से चयनित नायब तहसीलदार कंचन चौहान की पदोन्नति एसओजी की देरी और मेडिकल रिपोर्टों में विसंगति के कारण अटक गई है। राजस्व मंडल ने 31 अक्टूबर को विशेष ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को कंचन की दिव्यांगता परीक्षण रिपोर्ट, मेडिकल बोर्ड की विस्तृत जांच रिपोर्ट और प्रमाण पत्र भेजने के लिए पत्र लिखा था। लेकिन एसओजी ने यह रिपोर्ट राजस्व मंडल की बजाय सीएमओ को भेज दी, जिसके चलते औपचारिक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
रिपोर्ट समय पर प्राप्त न होने के कारण आरपीएससी में आयोजित डीपीसी बैठक में कंचन का नाम तो शामिल किया गया, लेकिन निर्णय नहीं हो पाया। यहाँ तक कि बैठक में संबंधित फाइल का लिफ़ाफा भी सीलबंद नहीं किया गया, जिससे पदोन्नति प्रक्रिया लंबित हो गई है।
कंचन चौहान दिव्यांग श्रवण–बधिर श्रेणी में चयनित नायब तहसीलदार हैं और वर्तमान में भीलवाड़ा के करेड़ा में कार्यरत हैं। सूत्रों के अनुसार कंचन के दिव्यांगता प्रमाण पत्र और मेडिकल सत्यापन रिपोर्ट में अंतर पाया गया है। जांच पहले अजमेर के जेएलएन अस्पताल में होनी थी, लेकिन सीएमओ के निर्देश पर इसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कराया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों मेडिकल रिपोर्टें एक-दूसरे से मेल नहीं खातीं—
एक रिपोर्ट में दिव्यांगता 40% बताई गई है, जबकि दूसरी रिपोर्ट में यह 30% दर्ज है। इन विरोधाभासी निष्कर्षों के कारण पदोन्नति संबंधी फाइल को आगे बढ़ाने में दुविधा पैदा हो गई है। अब राजस्व मंडल और एसओजी के बीच समन्वय स्थापित होने के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय हो सकेगा। मामले को लेकर प्रशासनिक हलकों में चर्चाएं तेज हैं कि दिव्यांगता के प्रतिशत में अंतर कैसे आया और रिपोर्ट भेजने में देरी क्यों हुई। फाइल के अटकने से कंचन की पदोन्नति प्रक्रिया फिलहाल अनिश्चित स्थिति में है।