



“जब हिस्सेदारी बढ़ती है, तभी देश मजबूत होता है।” — यह संदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने उस सोच के साथ दिया है, जो पिछले कई वर्षों से राहुल गांधी के विज़न और “भारत जोड़ो” के सिद्धांत का केंद्र रहा है। पायलट ने कहा कि भारत तब ही सशक्त बन सकता है जब हर वर्ग, हर समाज, हर जाति और हर युवा को समान अवसर और हिस्सेदारी मिले।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्ता में OBC, दलित, आदिवासी, महिलाएं और नौजवान — इन सभी वर्गों को 50% प्रतिनिधित्व देना केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि नए भारत की दिशा है। यह वह भारत है, जहां ताकत कुछ हाथों में केंद्रित नहीं रहेगी, बल्कि हर उस हाथ में जाएगी जिसने इस देश को बनाया है, जो मिट्टी से जुड़ा है, और जो अपने अधिकार के लिए खड़ा है।
सचिन पायलट ने कहा कि शक्ति का विकेंद्रीकरण, सत्ता में समान भागीदारी और सामाजिक न्याय ही वह रास्ता है जिससे समाज में संतुलन और प्रगति दोनों संभव है। उन्होंने इस सोच को केवल भाषणों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि राजनीति के मैदान में इसे वास्तविक रूप दिया है।
राजस्थान की राजनीति इस बात की गवाह है कि सचिन पायलट ने हमेशा युवाओं, वंचितों और पिछड़े वर्गों को राजनीति की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है। आज राजस्थान विधानसभा में मौजूद कई युवा, दलित और पिछड़े वर्ग के विधायक उनकी इसी सोच के प्रतीक हैं।
सचिन पायलट सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक नई पीढ़ी की आवाज़ हैं — वह पीढ़ी जो अधिकार, समान अवसर और न्याय चाहती है। उनकी राजनीति राहुल गांधी के सामाजिक न्याय और भारत जोड़ो के विज़न की जमीनी अभिव्यक्ति है, जो इस देश को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जा रही है, जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान, अवसर और बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी।