जयपुर। इस वर्ष दीपावली सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस बार पर्व को लेकर कोई भ्रम नहीं है। अमावस्या तिथि आज दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 21 अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। चूंकि आज रात प्रदोषकाल और मध्यरात्रि दोनों में अमावस्या तिथि रहेगी, इसलिए लक्ष्मीपूजन आज यानी सोमवार रात को ही किया जाएगा।
जयादित्य पंचांग के संपादक पंडित अमित शर्मा के अनुसार, दीपावली में लक्ष्मीपूजन के लिए तीन काल सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं — प्रदोषकाल, वृष लग्न और सिंह लग्न। सूर्यास्त के लगभग 72 मिनट बाद तक प्रदोषकाल रहता है। इसी दौरान वृष लग्न का शुभ योग बनता है, जबकि सिंह लग्न का समय रात में बाद में आता है। इनमें से प्रदोषकाल और वृष लग्न को पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
प्रदोषकाल और वृष लग्न का संयोग: शाम 7:20 से 8:13 तक
स्थिर वृष लग्न में स्थिर सिंह नवांश: शाम 7:29 से 7:40 तक
स्थिर वृष लग्न में स्थिर वृष नवांश: शाम 8:06 से 8:18 तक
प्रदोष काल: शाम 5:49 से 8:13 तक
स्थिर लग्न वृष: शाम 7:20 से 9:16 तक
स्थिर लग्न सिंह: रात्रि 1:50 से 4:07 तक
निशीथ मुहूर्त्त: रात्रि 11:46 से 12:37 तक
मिथुन लग्न: रात 9:16 से 11:30 तक
कन्या लग्न: सुबह 4:07 से 6:22 तक
चर: शाम 5:49 से 7:23 तक
लाभ: रात 10:37 से 12:12 तक
शुभ: रात 1:46 से 3:21 तक
अमृत: रात 3:21 से 4:55 तक
अभिजीत मुहूर्त्त: सुबह 11:49 से 12:34 तक
अमृत चौघड़िया: सुबह 6:31 से 7:57 तक
शुभ चौघड़िया: सुबह 9:20 से 10:46 तक
लाभ चौघड़िया: दोपहर 3:03 से 4:28 तक
अमृत चौघड़िया: शाम 4:28 से 5:54 तक
धनु लग्न: सुबह 10:59 से 1:05 तक
कुंभ लग्न: दोपहर 2:49 से 4:18 तक
मीन लग्न: शाम 4:18 से 5:44 तक
पंडित शर्मा ने बताया कि जो व्यापारी या गृहस्थ शाम के समय पूजा नहीं कर पाते, वे निशीथ या मध्यरात्रि मुहूर्त्त में भी लक्ष्मीपूजन कर सकते हैं। उनका कहना है कि प्रदोषकाल या वृष लग्न में की गई पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।