जयपुर। अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा में हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आज ही अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। पार्टी कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया के सामने एक मजबूत और प्रभावशाली उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रही है।
इस बीच पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जयपुर स्थित आवास पर पहुंचे और उनसे मुलाकात की। राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को अंता टिकट को लेकर महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
प्रभुलाल सैनी लंबे समय तक वसुंधरा राजे गुट के प्रमुख नेता माने जाते थे और वे राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरी देखी जा रही थी और माना जा रहा था कि राजे उनके टिकट के पक्ष में नहीं हैं।
लेकिन अब मंगलवार की मुलाकात को “सुलह की शुरुआत” के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बैठक के बाद प्रभुलाल सैनी का नाम टिकट की दौड़ में सबसे आगे निकल आया है।
प्रभुलाल सैनी अंता विधानसभा सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं।वे अब तक 6 विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं — जिनमें 3 बार विजयी और 3 बार पराजित हुए हैं।वे अंता, उनियारा और हिंडौली सीटों से विधायक रह चुके हैं, और इलाके में उनकी मजबूत राजनीतिक पकड़ है।जातिगत समीकरण की दृष्टि से भी वे पार्टी के लिए सबसे संतुलित विकल्प माने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि “सैनी के अनुभव और लोकप्रियता को देखते हुए” उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद भाया के सामने कड़ी टक्कर देने वाला चेहरा माना जा रहा है।
भाजपा में एक और नाम पूर्व जिलाध्यक्ष और पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन का भी गंभीरता से चर्चा में है। मंगलवार को उन्होंने भी वसुंधरा राजे से मुलाकात की थी।
पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन अंता के स्थानीय नेता हैं और माली समाज से आते हैं — वही समाज जिससे प्रभुलाल सैनी भी ताल्लुक रखते हैं।पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि स्थानीयता और संगठन में सक्रिय भूमिका के कारण सुमन भी राजे की पसंद बन सकते हैं। सैनी अंता क्षेत्र के बाहर के माने जाते हैं, इसलिए “बाहरी उम्मीदवार” के तौर पर कुछ स्थानीय विरोध की संभावना बताई जा रही है।
10 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के बीच अंता सीट को लेकर लंबी मंत्रणा हुई थी।
इसके बाद वसुंधरा राजे ने कहा था कि टिकट का फैसला प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री करेंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजे की मंजूरी के बिना टिकट की घोषणा संभव नहीं है, क्योंकि अंता विधानसभा झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र में आती है —जहां से राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद हैं।इसलिए भाजपा टिकट चयन में समझदारी और आपसी सहमति से फैसला करना चाहती है, ताकि पूरा संगठन एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतर सके।
अंता सीट न केवल भाजपा संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वसुंधरा राजे की राजनीतिक प्रतिष्ठा से भी सीधी जुड़ी हुई है। इसलिए पार्टी किसी भी प्रकार की अंदरूनी कलह से बचते हुए ऐसा उम्मीदवार उतारना चाहती है जो एकजुटता का प्रतीक बन सके।