Tuesday, 14 October 2025

एसएमएस अस्पताल में डॉक्टरों टीम ने जटिल सर्जरी कर युवक के पेट से निकली घड़ी, नट-बोल्ट और लोहे के टुकड़े


एसएमएस अस्पताल में डॉक्टरों टीम ने जटिल सर्जरी कर युवक के पेट से निकली घड़ी, नट-बोल्ट और लोहे के टुकड़े

जयपुर। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में डॉक्टरों ने सोमवार को एक अद्भुत और जटिल सर्जरी कर एक युवक के पेट से घड़ी, नट-बोल्ट, रबड़, कंचा और लोहे के टुकड़े जैसे सामान निकाले। यह सर्जरी करीब तीन घंटे तक चली, जिसमें डॉक्टरों की टीम ने बड़ी सावधानी से पेट और आहार नली से यह सभी वस्तुएं निकालीं।

डॉक्टरों के अनुसार, नागौर जिले के 34 वर्षीय युवक ने पिछले कुछ दिनों में यह सभी वस्तुएं निगल ली थीं। जब उसने घड़ी निगली, तो वह खाने की नली (esophagus) में फंस गई। इसके बाद मरीज को उल्टी, तेज पेट दर्द और भोजन न कर पाने की शिकायत होने लगी। परिजन उसे 9 अक्टूबर को एसएमएस अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे।

एंडोस्कोपी से नहीं निकले धातु के टुकड़े, फिर की गई ‘VATS सर्जरी’

एसएमएस अस्पताल की जनरल सर्जरी यूनिट की प्रमुख डॉ. शालू गुप्ता ने बताया कि जांच में युवक के आहार नली, पेट और बड़ी आंत में कई धातु के टुकड़े फंसे मिले। टीम ने पहले एंडोस्कोपी के माध्यम से इन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन दो बार कोशिश करने के बावजूद घड़ी और धातु के टुकड़े नहीं निकाले जा सके। इसके बाद डॉक्टरों ने आधुनिक तकनीक वीडियो असिस्टेड थोरेसिक सर्जरी (VATS) का सहारा लिया। इस प्रक्रिया में मरीज की छाती और पेट पर 3–4 छोटे छेद कर उनमें से कैमरा और उपकरण डाले गए।वीडियो स्क्रीन पर मिली सटीक लोकेशन के आधार पर टीम ने क्रमशः घड़ी, नट-बोल्ट, रबड़, कंचा और अन्य धातु के टुकड़े निकालने में सफलता हासिल की।

“खाने की नली में फंसी थी घड़ी, बड़ी आंत में थे नट-बोल्ट”

डॉ. गुप्ता ने बताया कि घड़ी मरीज की खाने की नली में फंसी हुई थी, जबकि नट-बोल्ट और लोहे के टुकड़े बड़ी आंत में चले गए थे। टीम ने पेट में एक छोटा चीरा लगाकर सभी वस्तुओं को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर बताई जा रही है और वह डॉक्टरों की निगरानी में है।

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत होती है, क्योंकि धातु जैसी वस्तुएं आहार नली या आंत को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे अंदरूनी संक्रमण या ब्लीडिंग का खतरा रहता है।

डॉक्टरों की टीम की मेहनत से बची जान

एसएमएस अस्पताल प्रशासन के अनुसार, यह सर्जरी जनरल सर्जरी विभाग की डॉ. शालू गुप्ता की अगुवाई में की गई। टीम में सीनियर सर्जन, एनेस्थेटिस्ट और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे। तीन घंटे चली इस सर्जरी में टीम ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकी।

डॉक्टरों ने बताया कि यह मामला “पिका डिसऑर्डर” (Pica Disorder) जैसा प्रतीत होता है, जिसमें व्यक्ति अखाद्य वस्तुएं जैसे धातु, मिट्टी, कांच आदि खाने की प्रवृत्ति रखता है। इस संबंध में मरीज को आगे मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन (psychiatric evaluation) की सलाह दी गई है।

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